महासमुन्द

वन्य प्राणियों का शिकार कर चोरी छिपे बेचे जा रहे मांस
06-Apr-2021 6:02 PM
वन्य प्राणियों का शिकार कर चोरी छिपे बेचे जा रहे मांस

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

पिथौरा, 6 अप्रैल।  पिथौरा-कसडोल मार्ग पर 17 किलोमीटर दूर देवपुर वन परिक्षेत्र के ग्रामों में अब वन्य प्राणियों का मांस लगातार राजधानी सहित आसपास के शहरों में सप्लाई होने की खबर है। वही इस सम्बंध में बलौदा बाजार के वन मण्डलाधिकारी ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि कौन बेच रहा यह बताए हम कार्रवाई करेंगे।

शिकार एवम अवैध कटाई के सर्वाधिक मामले देवपुर परिक्षेत्र में ही बताए जा रहे है। इस परिक्षेत्र के ग्राम गिधपुरी पकरीद एवम आसपास के अन्य ग्रामों में चीतल,साम्बर एवम जंगली सुअर का शिकार व्यवसायिक तौर पर किया जाता है।जिसकी जानकारी रायपुर ,महासमुन्द एवम बलौदा बाजार जिले के लोगों को है जो यहां से अपनी मर्जी के अनुसार मंगवा भी लेते है।

ग्रामीण सूत्र बताते हैं कि उक्त ग्राम के अधिकांश ग्रामीण वन्य प्राणियों का शिकार मांस बेचने के लिए ही करते है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि ग्रामीण बार नयापारा के रामपुर के आसपास से ही शिकार करते हंै। इस क्षेत्र में वन कर्मी भी गस्त करने से डरते है। लिहाजा यह पूरा क्षेत्र शिकारियों के अधीन है। 

सूत्रों के अनुसार इस जंगल मे ज्यादातर शिकारी विद्युत तार के बनाये फंदे से ही वन्य प्राणियों का शिकार करते हैं। जिसे आसपास के मांस सप्लाई करने वाले ग्रामीण 2 से 3 हजार में खरीद कर ले जाते हंै। इसके बाद वे ही इसे काट कर इसका मांस किलो की दर से बेचते हैं। ग्रामीण बताते हंै कि होली के दिन उक्त ग्रामो में सुबह मांस खरीदने वालों की खासी संख्या थी। इस दिन मांस 300 रुपये प्रति किलो बेचे जाने की खबर है।
 उक्त मामले की जानकारी ‘छत्तीसगढ़’ द्वारा बलौदबाज़ार के डीएफओ केआर बढ़ई को दी गयी तब उन्होंने शिकार की बात से इंकार करते हुए कहा कि आप पकड़वा दो हम कार्रवाई करेंगे। 

कहीं जांच नहीं,खुला कारोबार
‘छत्तीसगढ़’ ने बड़े शहरों तक मांस ले जाने के रास्ते के बारे में जानने के लिए ग्राम गिधपुरी एवम पकरीद से अपनी कार घुमाकर कसडोल की ओर गए। कसडोल के पहले असनीद वन जांच चौकी दिखाई दी। इस जगह हमने अपनी वाहन रोक कर चाय भी पी परन्तु जांच चौकी में कोई भी वन कर्मी हमे पूछने तक नहीं आया। इसके बाद पुन: उक्त ग्रामो से हमने पिथौरा तक का सफर किया। उस मार्ग पर भी दी जांच चौकी देबपुर एवम कुरकुटी मिली परन्तु दोनों की चौकियों में ना कोई जांच हुई ना कोई पूछने ही आया। हमारी इस यात्रा ने वन विभाग के इस दावे की पोल खोल दी जिसमे वन मण्डलाधिकारी स्वयं जांच चौकियों में जांच का दावा करते है।
 

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