राजनांदगांव

कोरोना से जंग लड़ते बीता अप्रैल का पहला सप्ताह, 22 मौतें
07-Apr-2021 1:04 PM
 कोरोना से जंग लड़ते बीता अप्रैल का पहला सप्ताह, 22 मौतें

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 7 अप्रैल।
अप्रैल का पहला सप्ताह कोरोना की बढ़ी रफ्तार से इंसानी जीवन के लिए जीवन-मरण जैसे हालात बन गए हैं। वाकई में कोरोना के सुनामी में बदलने के बाद इंसान और महामारी कोरोना के बीच संघर्ष के हालात हैं। अप्रैल का पहला सप्ताह कोरोना से लड़ते हुए बीत गया। अप्रैल के पहले ही दिन से कोरोना ने जिस रफ्तार से इंसानी जीवन को अपने जद में लिया है उससे मौतों की संख्या बढ़ गई है। 

कोरोना से मचे हाहाकार के बीच संक्रमित मरीजों की विस्फोटक संख्या से डर का माहौल बन गया है। 5 अप्रैल को एकमुश्त हजार संक्रमित मरीज होने की खबर मात्र से लोगों में डर का माहौल है। 01 से 06 अप्रैल के बीच पिछले तमाम रिकार्ड को तोड़ते हुए हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं। राजनांदगांव शहर के अलावा देहात इलाकों के हालात में कोई फर्क नहीं है। आमतौर पर शहरी इलाकों में घनी आबादी को कोरोना फैलने का एक सशक्त जरिया माना जाता था, लेकिन अब ग्रामीण इलाके भी इससे सुरक्षित नहीं है। इंसानी जीवन के लिए यह दूसरा साल है, जब कोरोना से जंग लड़ते जीवन जीना पड़ रहा है।  अप्रैल के पहले सप्ताह में 3461 मामले आए हैं। जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 2122 और शहर में 1339 है। बताया जा रहा है कि अप्रैल के पहले सप्ताह में दो दर्जन संक्रमित मरीजों की जान भी इस महामारी के चलते चली गई। जिस तरह से संक्रमित मरीजों की तादाद में बढ़ोत्तरी हो रही है, उसी तरह मौत की संख्या भी बढ़ी है। मौत के कारण ही लोगों को अपनी जान बचाने के लिए कई तरह के उपाय करने पड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना का पॉजिटीविटी रेट  0.06 पर बना हुआ है। यह दर इंसानी जीवन के लिए काफी खतरनाक है। गुजरे साल अगस्त-सितंबर में कोरोना की लहर के दौरान ऐसे हालात नहीं बने थे। जनवरी-फरवरी के महीने में स्थिति एकदम सामान्य होने की कगार में थी। शहर में फरवरी के महीने में एक दिन ऐसा भी आया, जब मरीजों की संख्या 01 तक टिक गई थी। मार्च के पहले पखवाड़े के बाद एकाएक दूसरे पखवाड़े में कोरोना ने जबर्दस्त उछाल मारी। मार्च के आखिरी दो दिन में हालात तेजी से बदलते गए। आखिरकार अप्रैल का पहला सप्ताह भयानक रूप  लेकर सामने आया है। मौतों की संख्या में रोजाना वृद्धि हो रही है। औसतन हर दिन 3 मौतें हुई है। 5 अप्रैल को एक दिन में सर्वाधिक 9 लोगों को इस वैश्विक महामारी ने अपना काल बनाया। जिले में  सप्ताहभर के भीतर 22 की जान चली गई है। जिसमें उम्रदराज और युवा वर्ग भी शामिल है।
बताया जा रहा है कि हालात में सुधार आने की संभावना फिलहाल नहीं है, इसलिए लोगों को सतर्क रहने के साथ कोविड-19 से बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं। 
 

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