रायपुर
80 हजार एक्टिव केस हो सकते हैं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 अप्रैल। प्रदेश में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है। सरकारी और निजी अस्पताल लबालब हो चुके हैं। इलाज के अभाव में लोगों की तेजी से जान जा रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कोरोना के 44 हजार एक्टिव केस हैं, लेकिन संख्या कहीं अधिक है। कोरोना जांच सेंटरों में जांच के लिए संदिग्ध मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी है। हाल यह है कि हर चौथी रिपोर्ट पॉजिटिव निकल रही है। रायपुर, दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव की हालत बेहद खराब है।
कोरोना संक्रमण भयावह हो गया है। बड़े पैमाने पर लोगों की जान जा रही है। पिछले एक महीने में जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ा है, उस अनुपात में इलाज की सुविधाएं नहीं बढ़ी है। सरकारी प्रयासों में कोरोना के रोकथाम की कमी के चलते संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। प्रदेश में दो मार्च को कुल मिलाकर कोरोना के 2 हजार एक्टिव प्रकरण थे, जो कि 5 अप्रैल तक 44 हजार पहुंच गए हैं।
जानकारों का मानना है कि कोरोना के एक्टिव प्रकरणों की संख्या कहीं अधिक है। कुछ विशेषज्ञों का अंदाजा है कि यह दोगुना हो सकता है। यानी 80 हजार के आसपास एक्टिव प्रकरण हो सकते हैं। सामान्य लक्षण वाले संदिग्ध लोग चिकित्सकों से परामर्श कर इलाज करा रहे हैं। कोविड सेंटरों का हाल बुरा है। कालीबाड़ी, आयुर्वेदिक कॉलेज और अन्य टेस्ट सेंटरों में जांच के लिए लोग उमड़ पड़े हैं।
रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव के सरकारी और निजी अस्पताल लबालब हो चुके हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड नहीं रह गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने हालात से निपटने के लिए कुछ बंद पड़े सेंटरों को फिर से शुरू किया है। लेकिन संख्या पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में कोविड मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष पाण्डेय का मानना है कि कोरोना के मामलों में कमी आना कब से शुरू होगा, यह आंकलन करना मुश्किल है। मगर आने वाले दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।
प्रदेश के दूसरे जिलों से आने वाले मरीजों के कारण अस्पतालों की व्यवस्था बिगड़ी है। खासकर के महाराष्ट्र जैसे सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य के नागपुर और आसपास के इलाकों से कोरोना पॉजिटिव लोग छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, जिसकी वजह से भी यहां संक्रमण एकाएक बढ़ा है। इसको रोकने के लिए सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। आने वाले दिनों में बेड की समस्या और बढ़ सकती है। जिससे निपटने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास हो किए जा रहे हैं।