बीजापुर
सात पीढ़ी बीत गई लेकिन सडक़ मयस्सर नहीं हो पाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 11 अप्रैल। नक्सलियों के चंगुल से अपहृत जवान को छुड़ाने वाले मध्यस्थों में शामिल तेलम बोरैया आज किसी पहचान के मोहताज नहीं रहे। आगामी दिनों में उन्हें और अन्य मध्यस्थों को मुख्यमंत्री सम्मानित भी करेंगे। लेकिन बात उनके घर तक पहुंचने की करें तो वहां तक पहुंचने के लिए पगडंडी भी नहीं हैं। सात पीढ़ी हो गई, लेकिन सडक़ तो दूर पगडंडी भी मय्यसर नहीं हुई।
बीजापुर के वरिष्ठ पत्रकार पवन दुर्गम ने कोबरा बटालियन के जवान को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाकर लाने वाले समाजसेवी और गोंडवाना समन्वय समिति के अध्यक्ष तेलम बोरैया से उनके कमरगुड़ा स्थित घर पहुंचकर उनसे खास बातचीत की। पत्रकार पवन दुर्गम के बोरैया से बातचीत का वीडियो वायरल हो रहा है।
पत्रकार पवन बताते हैं कि तेलम बोरैया आज किसी पहचान के मोहताज नहीं रहे। वे जवान को नक्सलियों के चुंगल से लाकर मिसाल बने हैं। आज पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है। लेकिन तेलम बोरैया जिस कमरगुड़ा गांव में सात पीढिय़ों से रह रहे हैं। वहां आज भी एक सडक़ मय्यसर नहीं है। वे नेताओं और अफसरों से मिन्नतें कर थक गए। लेकिन उनके घर तक पहुंचने एक सडक़ तक नहीं बन सकी।
पत्रकार पवन का कहना है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस मध्यस्थ टीम के बदौलत छूटकर आने वाले जवान को बधाइयां दे रहे हैं। उसी टीम के वरिष्ठ सदस्य के घर तक पहुंचने के लिए पगडंडी भी नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि उनकी क्या मांग है, ये भी सुनना चाहिए। पत्रकार ने ोउम्मीद जाहिर की है कि देश के जवान को सकुशल वापिस लाने वाले रिटायर्ड शिक्षक और समाजसेवी तेलम बोरैया के घर तक सडक़ बनाने की सरकार सोचेंगे।
पत्रकार पवन दुर्गम ने ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता को बताया कि तेलम बोरैया से बातचीत का वीडियो वायरल होने के बाद कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने उन्हें फोन कर जानकारी ली और उन्होंने इस सडक़ के लिए संबंधित अफसरों को स्टीमेट बनाने के निर्देश दिए हैं।