सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भैयाथान, 12 अप्रैल। ब्लॉक मुख्यालय भैयाथान में कृषि बीमा योजना की राशि भैयाथान सहकारी बैंक के तत्कालीन प्रबन्धक जगदीश कुशवाहा ने निकालकर चटकर लिया है, मामला उजागर होने पर बैंक कर्मियों व आलाधिकारियों में खलबली मची हुई है। प्रारंभिक जाँच में 33 लाख रुपये का गबन सामने आया है। फिलहाल, केंद्रीय सहकारी बैंक का मामला चर्चा में बना हुआ है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने प्रबंधक को निलंबित कर दिया है।
किसानों को राहत देने के लिए सरकार द्वारा तमाम योजनाएं संचालित कर रही है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ किसानों को मिले या ना मिले लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों के लिए मुफीद बनी हुयी है। किसानों की खून-पसीने की कमाई को भी अधिकारी बंदरबाँट करने में पीछे नहीं रहते। ऐसा ही मामला भैयाथान सहकारी बैंक में प्रकाश में आया है, जिसमें तत्कालीन प्रबंधक जगदीश कुशवाहा के विरुद्ध किसानों ने भैयाथान थाने आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है, यहाँ पर तत्कालीन प्रबन्धक जगदीश कुशवाहा ने किसानों के खातों में भेजे गए कृषि बीमा का पैसा फर्जीवाड़ा करके हड़प लिया है। मामला सामने आया तो अधिकारी-कर्मचारियों में खलबली मची गयी है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खाता धारकों के खातों में पैसा आया था।किसानों के फसल बीमा से जुड़े कार्य बैंक प्रबन्धक स्वंम देखते थे। इन्हे प्रेषित धनराशि के साथ-साथ यही भी जानकारी रहती थी कि कौन-कौन किसान पात्र है और किस अनुपात में धनराशि किसानों के खाते में जमा हुई है। इसी का फायदा उठाकर इन्होंने किसानों के खातों से पैसे निकाल कर हड़प लिया। उक्त मामला आन्तरिक जाँच रिपोर्ट में पकड़ा गया है।
जगदीश कुशवाहा निलंबित
मामला प्रकाश में आने पर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अम्बिकापुर के द्वारा तत्काल प्रभाव से तत्कालीन बैंक प्रबंधक जगदीश कुशवाहा को निलम्बित कर दिया गया है। यही नहीं इस मामले में मुख्यकार्यपालन अधिकारी के द्वारा तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है विभागीय जाँच जारी है। प्रारम्भिक जाँच में यह मामला 33 लाख के आसपास का पकड़ा गया। अब देखना यह है कि विभागीय जाँच में यह मामला कहाँ तक पकड़ में आता है। या फिर जाँच तक ही सीमित रह जाता है, यदि जाँच में कई और नाम उजागर होते हैं तो आश्चर्य नहीं होगा। फिलहाल प्रबन्धक द्वारा किये गये इस घोटाले से न केवल किसान बल्कि अधिकारी भी सन्न हैं।
किसानों के साथ हमेशा होता रहा छलावा
अन्नदाता किसान हमेशा ही बदहाली का शिकार रहा है। कभी प्रकृति द्वारा सताने से तो कभी अधिकारियों द्वारा। पूर्व के वर्षों में फसलें चौपट हो जाने के बाद मुआवजा के लिए भटकते रहे, बावजूद इसके कई किसान मुआवजा से वंचित रह गए। इसके अलावा सरकारी योजनाओं में भी कमीशनखोरी के चलते कई पात्रता की श्रेणी में शामिल नहीं हो सके। और तो और कई ऐसी योजनाएं है, जिनका लाभ पात्र किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है। कई किसान तो अपनी इस बदहाली के चलते आत्महत्या तक कर चुके हैं। अब सवाल यह है कि यदि वास्तव में किसानों को उनके इस हक का पैसा समय से पहुंच जाए तो वह आत्महत्या को मजबूर नहीं होंगे। लेकिन इन भ्रष्ट अधिकारियों के चलते किसान हमेशा छले जा रहे हंै।
शिकायत के आधार पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक जगदीश कुशवाहा को निलंबित कर तीन सदस्यी टीम का गठन कर दिया गया है जिसमें पुरुषोत्तम सिंह परिहार, मनीष सिंह व शंभु जयसवाल शामिल हैं चूंकि दो सदस्यों के कोरोना संक्रमित होने पर जांच प्रभावित हुई है, जाँच रिपोर्ट मिलते ही नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।