बलौदा बाजार
भाटापारा, 14 अप्रैल। गर्मी के साथ सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए होती है। सारे चरागन भूमि उजाड़ है, कहीं चारा की उपलब्धता नहीं है। चरागन भूमि या तो अवैध कब्जे में है या पंचायत स्तर पर पशुओं को चारा उपलब्ध कराने गर्मी पूर्व तैयारी भी नहीं है जिससे पशुधन चारा और पानी के लिए मारे-मारे फिर रहे है। उनकी हालत यह है कि पशुओं को गर्मी में बैठना तो दूर खड़े होने के लिए भी जगह तलाशनी पड़ती है।
पशु की सेवा और संरक्षण की बात तो सब करते है लेकिन उनकी सुरक्षा व व्यवस्था पर ध्यान किसी का नहीं जाता आज गांव-गांव में पशुओं के लिए न चरागन बची है और न ही गौठान। गौठान में पीने का पानी, खड़े होने की जगह कहीं नजर नहीं आता। ज्यादातर गौठान उजाड़ हो चुके हैं इससे तमाम प्रकार के बीमारियों का संक्रमण पशुओं के माध्यम से घरों तक पहुंचता है। वहीं पशुधन भी बीमारियों से ग्रसित रहते है। चारा का अभाव और व्यवस्था के अभाव में आज पशु को संरक्षित रखना काफी कठिन है। सरकार तमाम तरह की योजनाएं पंचायत स्तर पर बना रही है। समाज का दर्पण पशु की व्यवस्था पर कार्ययोजना सिर्फ कागजों तक ही सिमित है। मुख्यमंत्री ने नरवा, गरवा, घुरवा बारी का नारा दिया था। कुछ स्थानों पर गौठान बनाया गया है वह भी उजाड़ हालात में पड़ा हुआ है। पशुधन की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। लॉकडाउन की स्थिति में जो थोड़ा-बहुत चारा उपलब्ध हो पाता था वह भी नहीं हो रहा है जिस पर संज्ञान लिए जाने की जरूरत है।