बालोद
लॉकडाउन के बाद रोज 11 सौ लीटर दूध नाले में बहाना पड़ रहा है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 17 अप्रैल। बालोद जिले में लॉकडाउन के चलते कलेक्टर ने 11 से 19 अप्रैल तक सभी दुकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे। जिसके बाद बालोद मुख्यालय में संचालित होने वाले दूध गंगा भी बंद कर दिया गया था। जहां शुद्ध दूध व खोए से बनी कई तरह की मिठाइयां और दही बेची जाती है। प्रतिदिन दूध गंगा में जिले के 300 पशुपालक 1300 से 1500 लीटर दूध बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। ऐसे में दूध गंगा में दूध की खपत नहीं होने के कारण 11 अप्रैल से प्रतिदिन 11 सौ लीटर दूध नाले में बहाना पड़ रहा है।
बकायदा सुबह व शाम दूध गंगा संचालित करने वाली समिति पशुपालकों से दूध लेती हैं, लेकिन प्रशासन के गाइडलाइन के अनुसार सुबह व शाम को दो-दो घंटे दूध गंगा खुलता है। जिसके चलते केवल ढाई सौ लीटर ही दूध बिक पाता है। बाकी बचे 11 सौ लीटर दूध को नाले में बहाना पड़ता है और सैकड़ों लीटर दूध लोग ऐसे ही नि:शुल्क घर ले जाते हैं। समिति के अध्यक्ष कमलेश गौतम ने बताया कि पिछले साल भी कोरोना के कारण इसी तरह से लॉकडाउन हुआ था। उस समय के बचे दूध का उपयोग खोवा बनाने के लिए किया गया, लेकिन अधिक दिनों तक लॉकडाउन होने के कारण खोवा भी नहीं टिक पाया और दोहरे मेहनत करने के बाद सारा खोवा खराब हो गया, जिसके कारण इस बार दूध को नाले में बहाना पड़ रहा है।
दूध गंगा संचालित करने वाली समिति के सामने बड़ी चुनौती है अगर पशुपालकों से दूध नहीं लेंगे तो पशुपालकों की जिंदगी का गुजारा करने में काफी परेशानी आएगी और लेने के बावजूद खपत नहीं होने से समिति परेशान है।
कमलेश गौतम, समिति अध्यक्ष दूध गंगा का कहना है कि समिति ने निर्णय लिया है कि 21 अप्रैल से दूध का मूल्य घटाकर 24 रुपये पशुपालकों दिया जाएगा, जबकि अभी दूध का पूरा मूल्य प्रति लीटर के हिसाब से 37 रूपये भुगतान किया जा रहा है। समिति की मानें तो अगर इसी तरह से स्थिति रही तो दूध गंगा को बंद करना पड़ेगा।