महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 17 अप्रैल। पिछले साल की तरह इस साल भी तेंदूपत्ता तोड़ाई कार्य में कोरोना का संक्रमण के कारण विलम्ब की संभावना है। कहा जा रहा है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो मई के पहले सप्ताह से तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य शुरू होगा। इस बार भी लक्ष्य पिछली बार की तरह 95 हजार मानक बोरा रखा गया है। ..और यदि संक्रमण के हालत नहीं बदले तो, तेंदूपत्ता संग्रहण भी प्रभावित हो सकता है। फिर शासन के दिशा-निर्देश के अनुसार ही तेंदूपत्ता तोड़ाई कार्य शुरू होगा।
वर्तमान में लॉकडाउन की वजह से कई ग्रामीण गांव से बाहर नहीं निकल रहे हैं। कई गांवों को सील कर दिया गया है। इसका असर अगामी दिनों तेंदूपत्ता तोड़ाई पर भी पड़ सकता है। हालांकि तोड़ाई संग्रहण की शुरूआत के लिए अभी पखवाड़ेभर का समय है। इसके अलावा तोड़ाई कार्य शुरू होने के बाद अंतरराज्यीय सीमा में तेंदूपत्ता संग्रहण को रोकने को भी योजना बनाई जाएगी।
गौरतलब है कि अन्य राज्यों से छग में ज्यादा पारिश्रमिक मिलता है। जानकारी के मुताबिक महासमुंद जिले में ही 75 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियां हैं। इन्हीं समितियों में संग्राहक परिवार तेंदूपत्ता तोड़ाई के बाद बेचते हैं। इसकी पारिश्रमिक राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा होती है। तेंदूपत्ता तोड़ाई की कीमत चार हजार रुपए प्रति मानक बोरा है। विभाग के अनुसार संग्रहण की तैयारियां चल ही है। निर्देश प्राप्त होते ही काम शुरू होगा। वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत का कहना है कि फिलहाल लॉकडाउन है। पखवाड़ेभर बाद तोड़ाई का काम शुरू होना है। स्थिति ठीक रहा तो, मई के पहले सप्ताह से तोड़ाई का काम शुरू कर देंगे।
मालूम हो कि सिरपुर क्षेत्र में अधिकतर गांव हाथी प्रभावित है। यहां तेंदूपत्ता का संग्रहण ज्यादा होता है। इस अंचल में वन्यप्राणियों से खतरा भी अधिक है। क्योंकि रबी सीजन शुरू होते ही हाथियों की आवाजाही भी बनी हुई है। वर्तमान में इस क्षेत्र में तीन दंतैल घूम रहे हैं। इसके अलावा तोड़ाई के समय भालुओं का भी खतरा ज्यादा रहता है। गर्मी के दिनों में भोजन व पानी की तलाश में जंगल से रिहायशी इलाकों की ओर वन्यप्राणी निकलते हैं। दूसरी बात यह है कि इस साल भी तोड़ाई के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्य करना होगा।
समस्या यह भी है कि अभी तक गोदाम प्रभारी कोरोना वायरस के चलते गोदामों की साफ.-सफाई नहीं कर पाए हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद प्रभारी गोदामों में दीमक रोधी दवा का छिडक़ाव व रख-रखाव पर विशेष ध्यान देंगे। उल्लेखनीय है कि वनांचल के लोगों का प्रमुख आय का साधन तेंदूपत्ता है। संग्राहकों को हर वर्ष गर्मी के मौसम का इंतजार रहता है। सुबह पांच बजे से तोड़ाई के लिए जंगल की ओर ग्रामीण निकल जाते हैं।