कोरिया

होम आइसोलन में बरती जा रही है लापरवाही
20-Apr-2021 8:43 PM
होम आइसोलन में बरती जा रही है लापरवाही

   मौत का आंकड़ा पहुंचा 60, तीन तरह की जांच पर निकले समाधान   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बैकुंठपुर, 20 अप्रैल। कोरिया जिले में कोरोना से मौतों को आंकडा बढक़र 60 हो गया है, हालांकि सोमवार रात एक मौत और हुई है, परन्तु सुरजपुर निवासी होने के कारण उन्हें यहां नहीं गिना जाएगा। ज्यादातर होने वाली मौत के पीछे होम आइसोलेशन में लापरवाही और बीमारी को छुपाना सामने आ रहा है। दूसरी ओर बैकुंठपुर स्थित कोविड अस्पताल के बेहतर इलाज से कई मरीज रोजाना ठीक होकर अपने घर जा रहे है। वहीं लॉकडाउन होने के कारण कुछ जरूरी जांच नहीं हो पा रही है। जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।

जरूरी जांच नहीं हो पाने के सवाल पर संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव का कहना है कि मैं कोरिया और बिलासपुर प्रशासन से बात करती हूं, ताकि बेहद जरूरी जांच बिलासपुर में हो सके। लॉकडाउन भी तो लोगों की जान बचाने के लिए ही किया गया है, जांच से भी लोगों की जान बच सकती है। इस संबंध में डॉ. रामेश्वर शर्मा का कहना है कि हल्का सा भी लक्षण पता चले जांच कराए, बीमारी को बिल्कुल नजरअंदाज और छुपाए नहीं है, जो मामले समय पर हमारे पास आ रहे है, वो सुरक्षित है।

जानकारी के अनुसार कोरिया जिले मे अस्पतालों में पर्याप्त बेड है, दवाईयां, इंजेक्शन है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन भी है, नहीं है, तो कोरोना पॉजिटिव मरीजों को होम आइशोलेशन में निगरानी करने के लिए कोई ठोस रणनीति, उनकी मॉनिटरिंग का तरीका और उन के इलाज को लेकर प्रशासन की तैयारी, जिसके कारण होम आइशोलेशन में रहने वालों की मौत हो रही है, अब तक 60 लोगों की जान कोरोना से जा चुकी है, बीते दो तीन दिन में ज्यादा मामले ऐसे है। घर में रहते हुए जिनके फैफडों में इंफेक्शन काफी ज्यादा बढ़ गया था, कुछ ने इलाज में लारवाही बरती तो कुछ ने अस्पताल जाने में आनाकानी की, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। जो आंकडा 46 मौत से कई दिनों तक अटका हुआ था। वो अचानक 4 दिन में बढक़र 60 पर जा पहुंचा। कोरिया जिले में मनेन्द्रगढ़ और चिरमिरी में 100 बेड की व्यवस्था हो जाने के बाद अब जिले में कोरोना मरीजों के लिए 250 बेड हो चुके है। जिसमें 160 बेड अभी रिक्त है तो सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में दवाएं और ऑक्सिजन भी है। 

पॉजिटिव घूम रहे बाजार

कोरिया जिले में कल तक कुल एक्टिव केस 2018 है, जिसमें 1928 मरीजों को होम आइशोलेशन में रखा गया है। इस बार जिन्हें होम आइशोलेशन मे रखा गया है। उनके घर के बाहर किसी तरह की पर्ची नहीं लगाई है, जिसका फायदा उठाकर वो असानी से घर के बाहर घूम रहा है, जिससे संक्रमण और अधिक फैल रहा है, ऐसे में जिले को जिस कोरोना की चेन ब्रेक करने के लिए कंटेटमेट जोन में तब्दील किया गया है। उसका कोई मतलब नहीं हो पा रहा है, क्योंकि लोगों को इसकी जानकारी नहीं है कि कौन पॉजिटिव है और कौन नहीं, इनमें कुछ तो रसूकदार है। होम आइसोलेशन में रखे मरीजों की मॉनिटरिंग को लेकर जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई है। 

तीन टेस्ट होते है बाहर

कोरोना के इलाज के दौरान तीन टेस्ट कोरिया में नहीं हो पाते है, पैथोलॉजी वालों की माने तो इन टेस्टों में पहला सीआरपी (सी रियेक्टिव प्रोटिन) टेस्ट जिससे यह पता चलता है कि फेफड़ों में इंफेक्शन कितना बढ़ चुका है, दूसरा डी डाईमर टेस्ट यह बताता है कि दिल में खून के गाढ़ेपन की सीमा क्या है। तीसरा टेस्ट है फेरिटिन टेस्ट जिससे यह जाना जाता है कि शरीर मे खून की कमी कितनी है। 2000 रू से लेकर 3500 रू की लागत का यह टेस्ट कंटेटमेंट जोन होने के पूर्व बिलासपुर और रायपुर से आसानी से होकर कोरिया आ रहा था, कुछ निजी लैब तीेनों टेस्ट को सेंपल भेज कर डॉक्टरों को उपलब्ध करा रहे थे, परन्तु कंटेटमेंट जोन घोषित होने के बाद इन टेस्ट पर भी रोक लग चुकी है, ऐसे में यदि बिलासपुर भेजने और लाने से रोक हटा दी जाए तो मरीजों को इलाज और भी सुगम हो सकता है।

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