महासमुन्द
न्यूनतम दर ढाई हजार रुपए प्रति दिन की दर पर चिकिसा सुविधा मिलेगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 22 अप्रैल। एनसीसी हॉस्पिटल झलप के संचालक व भाजपा चिकिसा प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ विमल चोपड़ा ने कहा है कि अफसरशाही की वजह से कोविड.19 संक्रमित मरीजों को समुचित चिकिसा सुविधा नहीं मिल पा रही है। शासन ने निजी अस्पतालों में प्रति ऑक्सीजन बेड 6 हजार रुपये दर निर्धारित की है। लेकिन जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र झलप में न्यूनतम दर ढाई हजार रुपए प्रति दिन की दर पर उन्होंने चिकिसा सुविधा देने दस बेड की तैयारी की है। बावजूद प्रशासन पांच दिन से उन्हें अनुमति नहीं दे रहा है।
उन्होंने कहा कि जनसामान्य को सुविधाएं मुहैया कराया जाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। यदि प्रशासन अनुमति नहीं भी देती है तो वे जरूरत मंद लोगों को ऑक्सीजन बेड मुहैया कराने संकल्पित हैं। जो भी कार्यवाही होगी, उससे बाद में निपटते रहेंगे। अभी भयावह स्थिति में लोगों की जान बचाना हर डॉक्टर का फर्ज है। इससे वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
कल दोपहर एक वर्चुअल प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए डॉ चोपड़ा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई सीधा अस्पतालों को करने की जरूरत है। मरीज के परिजनों को जानकारी देकर इंजेक्शन सीधे डॉक्टरों को दिए जाने से इसकी कालाबाजारी पर विराम लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में परलोक गमन कर गए अपने बड़े भाई भंवरलाल चोपड़ा की स्मृति में सेवा भाव से झलप में कोविड केयर सेंटर बनाया है। जिसे प्रशासकीय स्वीकृति का इंतजार है। जनसहयोग, पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से कोरोना से जंग लडऩे उन्होंने दूरस्थ अंचल झलप में डेरा डाल रखा है। उन्होंने गरीबों को समुचित और त्वरित चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए यह व्यवस्था की है। 6-6 घंटे की रोटेशन ड्यूटी में डॉक्टर और दस स्टाफ यहां सेवा देने तत्पर हैं। बावजूद किरायानामा और मामूली कागजी औपचारिकता की कमी बताकर अब तक उनके इस कोविड केयर सेंटर को अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने दावा किया है कि जुगाड़ से तैयार किया गया उनका कोविड केयर सेंटर प्रदेश का पहला निजी नर्सिंग होम है। जहां केवल 2500 रुपये प्रतिदिन के दर पर ऑक्सीजन बेड उपलब्ध कराया जा रहा है। महासमुन्द के एक नर्सिंग होम में मनमानी पूर्ण वसूली के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह देखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के नाते वे भी प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन से इस मसले पर चर्चा करेंगे और आपदा के समय में संवेदनशील होकर कार्य करने चिकित्सकों से आग्रह करेंगे।