महासमुन्द
समाज का कहना है कि मृतक सरपंच का क्रियाकर्म तो पूरा होने देते सीईओ कहते हैं गांव में क्वॉरंटाइन सेंटर बना है, मजदूर भी आ रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 23 अप्रैल। पिथौरा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत लहरौद में सरपंच की मौत के तीन दिन बाद ही उपसरपंच को प्रभार सौंपे जाने का मामला सामने आया है। इस आदेश के जारी होने के बाद इसकी चर्चा अंचल में रही है। साथ ही इस मामले में आदिवासी समाज ने भी रोष व्यक्त किया है। ज्ञात हो कि पिथौरा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत लहरौद के युवा सरपंच रूपसिंह ठाकुर का कोविड 19 के चलते 17 अप्रैल को असमय निधन हो गया।
वे गांव में काफी लोकप्रिय थे और दूसरी बार ग्राम सरपंच का चुनाव बड़े अंतर से जीते थे। इस मामले में जनपद पंचायत पिथौरा के सीईओ प्रदीप प्रधान ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण मजदूर बाहर से लौट रहे हैं। गांव में क्वॉरंटाइन सेंटर बनाया गया है। इसलिए व्यवस्था के तौर पर उपसरपंच को प्रभार सौंपा गया है। 15 दिन के भीतर स्थानापन्न सरपंच की नियुक्ति की जाती है। लेकिन तात्कालीन व्यवस्था के तहत उपसरपंच को यह सरपंच का प्रभार दिया गया है।
आदिवासी समाज के जिला सचिव एसपी ध्रुव ने कहा है कि सरपंच की मौत के तीन दिन बाद इस तरह का आदेश निकालना गलत है। जनप्रतिनिधि की मौत पर समाज और प्रशासन दोनों को सिम्पेथी होती है। लेकिन प्रशासन ने सरपंच की मौत के तीन दिन बाद ऐसा आदेश जारी कर दिया। दूसरी बात नियमानुसार आरक्षित सीट पर चुने गए जनप्रतिनिधि की मौत के बाद पंचायत की बैठक आयोजित कर उसी आरक्षित वर्ग के पंच को यह जिम्मेदारी सौंपी जानी थी, लेकिन यहां भी प्रशासन ने नियम को ताक पर रखा।
जानकारों की मानें तो पंचायत अधिनियम में ऐसे किसी नियुक्ति का अधिकार जनपद सीईओ को है ही नहीं। पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 38 के अनुसार ग्राम पंचायत में सरपंच का पद रिक्त होने की स्थिति में सचिव द्वारा पद रिक्त की सूचना विहित प्राधिकारी को दी जाएगी। रिक्त की सूचना प्राप्त होने के बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा स्थानापन्न सरपंच के निर्वाचन हेतु ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित करने हेतु पंचायत सचिव को निर्देश जारी करेगा।