गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 28 अप्रैल। नवापारा शहर में एक ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता है जिनके भीतर मानवीयता और इंसानियत इस कदर भरा हुआ है कि इस कोरोना के दौर में न केवल अपनी जान को सांसत में डालकर लोगो के बढ़ चढक़र मदद कर रहा है बल्कि अपने पूरे परिवार को भी इस कार्य में लगा दिया है।
सच्चा वारियर्स तो इसे ही कहा जाए जो प्रचार-प्रसार से कोसो दूर रहकर भलाई के इस काम में बदस्तुर लगा हुआ है। उनके द्वारा किए जा रहे कार्य की जानकारी प्राप्त हुई, पूछने पर उन्होंने बताया कि मानव सेवा से बढक़र और क्या बड़ा धर्म हो सकता है? वही हम कर रहे है। कहा कि सबसे बड़ी बात आज कोरोना से लोगो की जान बचाना है। कोरोना पीडि़त परिवार को मदद करना है। ये हम कर रहे है। पीडि़तो की जैसे ही जानकारी हमें मिलती है या फोन आता है तो मैं स्वयं, मेरी पत्नि और मेरा पुत्र उस परिवार के लिए कितना क्या कर सकते है, तत्काल तत्पर हो जाते है। उस वक्त यह नही देखते कि रात 10 बज रहा है या 12 बज रहा है। बात हम ब्राम्हण समाज के वरिष्ठ एवं नगर पालिका में भाजपा पार्षद दल के नेता प्रसन्न शर्मा का कर रहे है जो अपने धर्म पत्नि सुभाषिनी शर्मा और बेटे कौस्तुभ शर्मा के साथ लोगो की सेवा में लगे हुए है।
जज्बा ऐसा कि पहले स्वयं के इकलौते पुत्र को स्वयं के खर्च में प्लाज्मा डोनेट करने भेजते हैं उसके बाद दूसरो के लिए अपने सहयोगियों को प्रोत्साहित करते हैं। हमारे प्रतिनिधि ने जब उनसे इस विषय पर बात की तो उनका कहना था कि समाज को दिशा देने के लिए सबसे पहले स्वयं आगे आना पड़ता है और जब प्लाज्मा डोनेट करने मैंने अपने पुत्र कौस्तुभ शर्मा को प्रेरित किया तब ही मैं किसी और के पुत्र - पुत्री से सहयोग मांगने के काबिल हुआ , बड़ी समस्या है। चुनौती भी बड़ी है। पढ़े लिखे लोग आगे आकर लोगों की मदद नहीं करना चाह रहे है। अब प्लाज्मा डोनेट का मामला सीमित लोगों के बस में है, आप और हम यह नहीं कर सकते पर जो कर सकते है वो बेवकूफी पूर्ण तर्क देकर मना कर रहे है। 20 लोगों से बात करो तो कोई एक नेक इंसान बहुत मुश्किल से तैयार होता है । दूसरा काम ये जो कर रहे है वो सिर्फ और सिर्फ पॉजीविटी पर परिचितों में जो भी कोविड पॉजीटिव हो रहा है। उन्हें दिन में कई बार फोन करना उनसे सकारात्मक बात करना, उन्हें सोशल मीडिया पर सकारात्मक संदेश देना तथा राजीव दीक्षित का अनुशरण करते हुए , पारिजात / हरश्रृंगार के पत्तों के काढ़े से लोगों का बुखार उतरवाना , जिनके पास पत्ते नहीं है खुद उनके घर जाकर उसे छोडऩा । रात 10 बजे भी किसी का तेज बुखार वाला फोन आने पर अपने घर से काढ़ा खुद बनाकर अपने पुत्र के हाथों 4- 5 किलोमीटर दूर तक पहुंचाने में भी संकोच नहीं कर रहे है। कोई अस्पताल के लिए, तो कोई एम्बुलेंस के लिए, कोई मृतदेह के अंतिम संस्कार के लिए फोन कर रहा है। बता दे कि हरेक का मदद करने शर्मा परिवार, बिना रुके बिना थके अपने सामर्थ्य के हिसाब से सपरिवार लगा हुआ है सिर्फ इस एक सिद्धांत पर की नर सेवा ही असली नारायण सेवा है।