दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमधा, 1 मई। कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मचारियों को ही स्वास्थ्य रक्षक दवाइयां और उपकरण नहीं मिलने का मामला सामने आया है। पीएचई में पदस्थ गर्भवती एएनएम के कोरोना संक्रमित होने के बाद समुचित उपचार नहीं मिलने के कारण मौत का आरोप परिजनों ने लगाया है।
धमधा के भूषण ढीमर की पत्नी दुलारी ढीमर (तारक) साजा ब्लॉक के परपोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बहुद्देशीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) के रूप में पदस्थ थी। मुंगेली के तखतपुर से 2 साल पहले उसकी तबादला परपोड़ी में हुआ था। उसकी 3 साल की एक बच्ची भी है वह 8 महीने से गर्भवती थी उसकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परपौड़ी में थी, जहां कोरोना मरीज भी आ रहे थे।
परिजनों का आरोप है कि दुलारी तारक 8 महीने की गर्भवती थी इसके बाद भी उसकी कोरोना में ड्यूटी लगाई दी गई थी। एक दिन बाद उसे बुखार आने लगा। उसे बेमेतरा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह कोरोना संक्रमित पाई गई। गर्भवती होने के कारण वहां 2 दिन में ही स्थिति बिगड़ती गई। डॉक्टर ने परिवार वालों को रेमडेसीविर इंजेक्शन का इंतजाम करने कहा।
परिजनों का आरोप है कि एएनएम दुलारी तारक को न तो समय पर रेमडेसीविर इंजेक्शन मिल पाया और न ही वेंटिलेटर।
मृतक नर्स के जेठ समय लाल ढीमर ने बताया कि बेमेतरा और दुर्ग के सभी मेडिकल स्टोर में चक्कर काटने पर भी वह इंजेक्शन नहीं मिला। बड़ी मुश्किल से इसके दो डोज ब्लैक में मिले। चार हजार रूपए के दो इंजेक्शन के लिए 15-15 हजार देने पड़े। इंजेक्शन लगने के दो दिन तक ठीक थी, फिर स्थिति खराब होने लगी तो एम्स में रिफर करवाया, लेकिन वहां भी वेंटिलेटर युक्त बेड नहीं था। दो दिन इंतजार करने के बाद बेड मिला। 24 अप्रैल की सुबह 7.00 बजे एम्स के लिए रिफर कर दिया गया था, लेकिन 108 एंबुलेंस को आते-आते 4 घंटे लग गए। रायपुर एम्स पहुंचते तक दोपहर 1.00 बज गए। इसके बाद शाम 5.00 बजे दुलारी का निधन हो गया।
उन्होंने कहा कि देशभर में कोरोना के फ्रंट लाइन वर्कर को विशेष सुविधा देने के गाइड लाइन है, ताकि वे जल्दी स्वस्थ होकर मारीजों की सेवा कर सकें। लेकिन दुलारी को इस तरह की कोई सुविधा नहीं मिली और न ही अभी तक शासन ने उसकी कोई सुध ली है।