महासमुन्द

चिकित्सक के पास से मिली रेमडेसिविर इंजेक्शन जिला अस्पताल के लिए ही अलॉट हुई थी
03-May-2021 5:04 PM
चिकित्सक के पास से मिली रेमडेसिविर इंजेक्शन जिला अस्पताल के लिए ही अलॉट हुई थी

अभी कुछ और दस्तावेज मिलने शेष है, बाद में मामला दर्ज किया जाएगा- एसडीएम 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 3 मई।
महासमुंद जिले के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के चिकित्सक के पास से मिली रेमडेसिविर इंजेक्शन जिला अस्पताल के लिए ही अलॉट हुई थी। यह इंजेक्शन इसी अस्पताल में भर्ती मरीजों को लगाई जानी थी और रिकॉर्ड के अनुसार यहां के भर्ती तीन मरीजों को उक्त इंजेक्शन लगाई भी गई है। इनमें से दो मरीज तो स्वस्थ हैं और एक की मौत हो चुकी है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पाए गए डॉक्टर के मामले में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आ चुका है। हालांकि इसके बाद भी अब तक इस मामले में न तो स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई की है और न ही पुलिस एफआईआर दर्ज की है। 

इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी पुलिस नारद सूर्यवंशी ने कहा कि जिला अस्पताल से अभी कुछ और दस्तावेज मिलने शेष हैं। दस्तावेज मिलने के बाद मामला दर्ज किया जाएगा।
गौरतलब है कि बीते 28 अप्रैल को जिला अस्पताल के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में ड्यूटी करने वाले एक चिकित्सक डीएन पटेल को पुलिस ने 6 नग रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़ा था। पुलिस ने मामले में धारा 102 के तहत कार्रवाई कर ड्रग विभाग को इंजेक्शन सौंप दिया था। साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी थी। पुलिस ने जब मामले की जांच की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हालांकि पुलिस की ओर से आधिकारिक रूप से इस मामले में कोई बयान सामने नहीं आया है। लेकिन सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इंजेक्शन डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के लिए ही अलॉट हुए थे।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में यह बात आई है कि डॉ. डीएन पटेल 12 अप्रैल से 26 अप्रैल तक डेडिकेटेड अस्पताल में ड्यूटीरत था। इस दौरान वहां भर्ती गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाना था। पुलिस को डॉक्टर के पास से रेमडेसिविर के जो 6 वॉयल मिले हैं, उसके सीरियल नंबर की एंट्री अस्पताल के रजिस्टर में दर्ज है। साथ ही जानकारी मिली है कि उक्त 6 वॉयल का इंजेक्शन यहां के मरीजों को लगाया गया है। इनमें से दो मरीज तो स्वस्थ हैं और एक की मौत हो चुकी है। रेमडेसिविर इंजेक्शन किस मरीज को कब लगाया गया है, इसका पूरा रिकॉर्ड अस्पताल के रजिस्टर में दर्ज है। रजिस्टर में जिस वायल का इंजेक्शन मरीज को लगाया जाता है, उसका सीरियल नंबर भी दर्ज किया जाता है। ऐसे में पुलिस ने जब जांच की तो पाया कि डॉक्टर के पास से रेमडेसिविर इंजेक्शन के जो वॉयल मिले हैं, उसके सीरियल नंबर मरीजों के नाम से दर्ज है।

विधि विशेषज्ञों की मानें तो इस मामले में आईपीसी की धारा 409, अमानत में खयानत और धारा 468 ;दस्तावेजों में कूटरचनाद्ध करने के तहत मामला पंजीबद्ध किया जा सकता है। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि यदि जांच में यह बात सामने आती है कि उक्त इंजेक्शन किसी दूसरी को लगाई गई है तो 409 के साथ धारा 468 के तहत भी मामला बनता है।
 

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