महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 5 मई। बुधवार को निर्धारित समय पर ओवरब्रिज में गर्डर चढ़ाने की बात कहकर वापस चले गये रेलवे अफसरों का समाचार लिखते तक अता-पता नहीं है। कल की तरह आज भी निर्माण कम्पनी के कर्मचारी रेलवे अफसरों का इंतजार कर रहे हैं। समाचार तैयार करते वक्त सुबह केे 11 बज चुके हैं लेकिन अभी तक गर्डर चढ़ाने के लिए परमिशन देने वाले रेलवे के अधिकारी स्थल पर पहुंचे नहीं हैं।
मंगलवार को भी सुबह नौ बजे तुमगांव रेलवे ओवरब्रिज के पास निर्माण कंपनी के सभी अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद थे और सभी ने गर्डर चढ़ाने की तैयारी पूरी कर ली थी। सभी रलवे के अधिकारियों के आने का इंतजार कर रहे थे। करीब आधे घंटे बाद संबलपुर के सहायक डिवीजन इंजीनियर शिव शंकर मौके पर पहुंचे और गर्डर चढ़ाने से मना कर दिया।
उन्होंने निर्माण कंपनी के अधिकारियों से केवल इतना कहा कि बुधवार को निर्धारित समय पर गर्डर चढ़ाया जाएगा। इसके बाद वे वापस रवाना हो गए। बस फिर क्या था, इसके बाद तो निर्माण कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर समेत सभी कर्मचारी वापस लौट गए। बता दें कि ओवरब्रिज में गर्डर चढ़ाने के लिए कंपनी की ओर से सारी तैयारियां कर ली गई थी। परसों सोमवार देर रात तक बकायदा बैरिकेट्स व असेंबल किए हुए गर्डर को कार्य स्थल तक लाकर रख दिया गया था, ताकि चढ़ाने के वक्त किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
इस संबंध में कंपनी के प्रोजेक्टर मैनेजर अजीत कुमार दत्ता ने बताया कि मंडल की ओर से गर्डर चढ़ाने के लिए ब्लॉक का समय फिलहाल नहीं मिल पाया है। सुबह मंडल के सहायक मंडल इंजीनियर अवलोकन के लिए मौके पर पहुंचे और सारी तैयारियों का जायजा लिया। इसके बाद गर्डर चढ़ाने की अनुमति बुधवार सुबह तक मिलने की बात कही थी। प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि हमारी ओर से सारी तैयारियां हो गई है। जब रेलवे के अधिकारी अनुमति देंगे फिर काम शुरू किया जाएगा।
मालूम हो कि तुमगांव रेलवे फाटक पर निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज पर गर्डर चढ़ाने के लिए पिछले 6 महीनों से तैयारियां चल रही है। गर्डर की गुणवत्ता परीक्षण होने के बाद राईट्स कंपनी ने संबलपुर डिवीजन के अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी थी। रिपोर्ट के आधार पर कुछ दिन पूर्व ही कंपनी को गर्डर चढ़ाने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई थी, लेकिन लिखित में समय व तिथि नहीं मिलने से काम एक फिर से अटक गया है। ज्ञात हो कि ओवरब्रिज का निर्माण प्रारंभ हुए करीब चार साल बीत चुके हैं।