रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 8 मई। जिस गांधी प्रतिमा को शहर ने जीवंत मान कर उसे चार दशकों तक पूजा हो, हर राष्ट्रीय पर्व पर मुख्य अतिथि ने मुख्य कार्यक्रम से पहले माल्यार्पण करने की परंपरा निभाई हो, जिनके चरणों मे बैठ सैकड़ों आंदालनों का सूत्रपात हुआ हो, जो प्रतिमा शहर को गांधीवाद की प्रेरणा देती हो और शहर की पहचान हो, उस गांधी जी की प्रतिमा को विस्थापित करने के तरीके की जो तस्वीर सामने आई है, वो गांधी के सम्मान के कतई अनुकूल नहीं है।
व्यक्तिगत रूप से वो तस्वीरे मानसिक पीड़ा पहुंचाने वाली है। जिस गांधी के आदर्श पर चलने की राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस कसमें खाती हो, जिनके नाम पर कांग्रेस अपना अस्तित्व कायम करती हो, उसके सत्तारूढ़ राज्य में गांधी जी की प्रतिमा के साथ ऐसा व्यवहार बेहद शर्मनाक है।
उक्ताशय के उद्गार व्यक्त करते हुए भाजपा नेता आलोक सिंह ने कहा है कि रायगढ़ में पिछले चार दशकों से शहर के हृदय स्थल में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठ कर न जाने कितने छात्र आंदोलन हुए। सैकड़ों मजदूरों, कर्मचारियों और व्यक्तिगत आंदोलनों की गवाह रही है यह प्रतिमा। वह प्रतिमा जो शहर वासियों के लिए केवल प्रतिमा नहीं बल्कि जीवंत गांधी ही है, उन्हें विस्थापित करने का जो दृश्य नजर आया वह विचलित कर देने वाला था।
आलोक सिंह ने कहा है कि अगर बढ़ती आबादी और घटती सुविधाओ के मद्देनजर शहर की सडक़ों को सुव्यवस्थित करने की मंशा से गांधी जी की प्रतिमा विस्थापित करना आवश्यक ही था, तो उसका तरीका सम्मान जनक होना चाहिए था।