कोरिया

लॉकडाउन में बैंकों में सामान्य लेन-देन की अनुमति की मांग
08-May-2021 7:31 PM
   लॉकडाउन में बैंकों में सामान्य लेन-देन की अनुमति की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बैकुंठपुर, 8 मर्ई। कोरिया जिले में 11 अपै्रल से प्रभावी लॉकडाउन की अवधि तीसरे चरण में बढ़ाकर आगामी 16 मई की मध्य रात्रि तक कर दिया गया है। इस बार भी बैंकों में सामान्य लेन देन की अनुमति नहीं दी गयी है। अपने खाते से पैसे निकालने पर रोक लगी हुई है जिससे आमजन बेहद नाराज है। वहीं जिसे लेकर संसदीय सचिव व क्षेत्रीय विधायक अंबिका सिंहदेव ने कलेक्टर कोरिया को पत्र लिखकर बैंको में आमजनों के सामान्य रूप से नगदी लेन देन करने की अनुमति प्रदान करने की मांग की।

जानकारी के अनुसार 11 अपै्रल 2021 से लॉकडाउन कोरिया जिले में लगा है जिसके बाद शुरूआत के कुछ दिन तो बैंक पोस्ट आफिस भी पूरी तरह से बंद रहे लेकिन कुछ दिन बाद बैंक व पोस्ट आफिस को प्रात: 10 से 2 बजे तक कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए खोलने की अनुमति दी गयी और परन्तु किसी भी तरह के लेन देन पर रोक लगा दी गई। जब तक कोई स्वास्थ्यगत कारण नहीं बताए उसे राशि न दी जाए। सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी में दस्तावेज प्रस्तुत करने पर ही लेन देन करने की अनुमति है इसके अलावा किसी भी आमजन को बैंकिंग सेवा नहीं दी जा रही है। दूसरी ओर पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब लोग इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हंै और साधारणजन को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों की परेशानियों केा देखते हुए संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव ने कलेक्टर ने मांग की है कि जल्द ही आमजनों को नगदी लेन देन  करने की अनुमति प्रदान की जाए।

मजदूरों को उनकी ही राशि नहीं दे रहे बैंक

लॉकडाउन के दौरान बैंकों को 10 बजे से 2 बजे तक खुलने की छूट मिली है, लेकिन इस दौरान सामान्य लोगों का नगदी लेन देन पूर्ण रूप से प्रतिबंध किया गया है। इस बीच मजदूरी भुगतान, पेंशन भुगतान की अनुमति दी गई है, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों की शिकायत है कि उनकी मजदूरी की राशि भी बैंकों द्वारा इस दौरान भुगतान नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण दूर दराज से लॉकडाउन के दौरान किसी तरह बैंकों तक पहुंचते है, लेकिन उन्हें नियमों का हवाला देकर उनकी मेहनत की राशि भी देने से साफ इंकार कर दे रहे है। यही हाल पेंशन प्रकरणों का भी। ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्ग अपने क्षेत्र. के बैंकों के साथ जिला मुख्यालय के बैंक में अपनी पेंशन राशि लेने के लिए बड़ी मुश्किल से पहुंच रहे हंै और जब बैंक में पहुंचते है, तो उन्हें बैंक कर्मियां द्वारा सीधे तौर पर अभी रूपये देने से मना कर दिया जा रहा है। ऐसे में अपनी ही मजदूरी राशि व पेंशन की राशि लिए बिना ही ग्रामीण घर को लौट रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान ऐसे लोगों की परेशानी को कोई नहीं समझ रहा है।

विवाह कार्यक्रम भी टाल रहे ग्रामीण परिवार

21 अपै्रल से विवाह के मुहूर्त शुरू हो गए है और इस दौरान कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए विवाह कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश है जिसके लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेने के बाद ही विवाह कार्यक्रम संपन्न कराये जा सकते हंै। इसके लिए कार्यक्रम में जुटने के लिए अधिकतम 20 लोगों को ही अनुमति दी जा रही है। यह तो ठीक है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इस दौरान बैंकों से आम लोगों को अपने किसी प्रयोजन के लिए अपनी ही जमा राशि नहीं दी जा रही है।  इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसी स्थिति में कई ग्रामीण क्षेत्रों के परिवार रूपयें के अभाव में विवाह कार्यक्रम को टाल रहे हंै वहीं कई तो ऐसे हैं, जो अपने रिश्तेदारों व अन्य परिजनेां से कर्ज में राशि लेकर किसी तरह विवाह कार्य संपन्न कर रहे है।

 बैंक में राशि जमा तो है, लेकिन इस दौरान निकासी पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। जिसके चलते पूरा काम पैसे के बिना अटक रहा है। जिसे लेकर लोगों को परेशानी हो रही है वहीं कई लोग दूर अपने रिश्तेदार आदि को रूपये भेजना भी चाहते है, तो वह चाह कर भी बैंक में अनुमति नहीं मिलने से भेज नहीं पा रहे हैं।

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