महासमुन्द

बार दल के हाथियों के जाने से लहंगर सहित आसपास के गांवों को राहत
11-May-2021 9:04 PM
बार दल के हाथियों के जाने से लहंगर सहित आसपास के गांवों को राहत

महासमुंद, 11 मई। बार दल के हाथियों चंदा, अल्फ ा, बीटा और गामा के जाने से लहंगर सहित आसपास के गांवों को राहत मिली है। पिछले साल 5 मई को 21 हाथियों का दल महासमुंद से गरियाबंद की ओर बढ़ गया था।

लहंगर के ग्रामीण राधेलाल सिन्हा का कहना है कि बार दल के हाथियों के जाने से लहंगर सहित आसपास के गांवों को काफी राहत मिली है। हाथियों के जाने का सबसे बड़ा श्रेय सेवानिवृत्त मुख्य वन्यप्राणी संरक्षण अधिकारी केके बिसेन को जाता है। ईआरबी तार की तकनीकी प्रयोग से हाथियों का दल क्षेत्र से रवाना हुआ है। उनका जागरूकता अभियान भी कारगर साबित हुआ। 

बंदोरा के किसान जगदीश पटेल का कहना है कि बार दल के कारण पहले हर दिन फसल नुकसान होता था। रतजगा करना पड़ता था। अब इससे मुक्ति मिल गई है। वहीं फसल का भी नुकसान नहीं हो रहा। महिलाएं भी खेतों में बिना डरे काम करती हैं।

 खिरसाली के किसान संतानु ध्रुव कहते हैं कि बार दल के रहने से सबसे ज्यादा खिरसाली के ग्रामीण व किसान भयभीत रहते थे। इसी गांव से दल आता जाता था। फसल बर्बाद होती थी।
 अब किसान बिना डरे खेती कर रहे हैं। तीन दंतैल भले ही आते हैं, लेकिन बार दल जैसा नुकसान नहीं करते। पिछले साल 5 मई को 21 हाथियों के दल ने छोड़ा था। उसके बाद सालभर में जिले में फसल नुकसान के 633 मामले सामने आए लेकिन पिछले एक माह में फसल रौंदने का एक भी मामला नहीं मिला है। 

ज्ञात हो कि चंदा, अल्फ ा, बीटा और गामा ये उन हाथियों का नाम हैं, जिससे सिरपुर क्षेत्र के 52 गांवों के ग्रामीण रोजाना भयभीत रहते थे। इस दल में 21 जंगली हाथी हैं, जिनके जाने से महासमुंद के ग्रामीण व किसान अब राहत की सांस ले रहे हैं। अब क्षेत्र में फसल हानि काफी कम हो रही है। हालांकि क्षेत्र में दो दंतैल घूम रहे हैं। लेकिन इससे फसलों को नुकसान कम हो रहा है। सालभर में फसल हानि के केवल 633 प्रकरण सामने आए हैं। वहीं इस वर्ष तो अप्रैल में फसल हानि का एक भी मामला सामने नहीं आया। ज्ञात हो कि 21 हाथियों का दल एक साल पहले 5 मई 2020 को करते हुए गरियाबंद की ओर बढ़ गया था।

बार दल के 21 हाथियों के जाने के बाद 7 अन्य दंंतैलों ने भी पिछले साल काफी उत्पात मचाया था। पांच महीने जमकर उत्पात मचाते इन सातों नेे 4 लोगों की जान ली, वहीं 633 प्रकरण फसल हानि के दर्ज किए गए। इस दल ने 58 लोगों को घायल किया था। इस वक्त बार दल के 21 हाथियों को महामसुंद जिले से गए एक साल हो गए। यह दल चार साल पहले बार के जंगल से सिरपुर क्षेत्र में आ धमके थे। इसके विचरण से सिरपुर क्षेत्र के 52 गांवों के ग्रामीण व किसान परेशान थे। 

वन विभाग से मिले आकड़ों पर यदि नजर डाले तो वर्ष 2019-20 में 4621 फसल हानि, 7 जनहानि और 50 जन घायल हुए हैं। इस प्रकरण में विभाग ने फसल हानि में तीन करोड़ 87 लाख 10 हजार 575, जनहानि में 36 लाख एवं जन घायल में 9 लाख 49 हजार रुपए का वितरण किया है। इसके अलावा ग्रामीणों की मदद भी की गई। पिछले साल 5 मई को महासमुंद जिले से रवाना होने के बाद बार दल ने पांच जिलों में आमद दी थी। महासमुंद से यह दल गरियाबंद होते हुए धमतरी, कांकेर, बालोद और राजनांदगांव के सरहदी इलाके डौंडी तक पहुंचा। सबसे ज्यादा समय धमतरी के गंगरेल डुबान क्षेत्र में रहा। 
 

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