बीजापुर

क्या रेड कॉरिडोर से होकर आएगा कोरोना का आन्ध्र स्ट्रेन?
11-May-2021 9:46 PM
क्या रेड कॉरिडोर से होकर आएगा कोरोना का आन्ध्र स्ट्रेन?

सरहदों में चौकसी के साथ महकमा अलर्ट, जांच के बाद ही प्रवेश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 11 मई।
छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक नक्सल प्रभाव वाला इलाका बस्तर इन दिनों दहशत के साये में हैं,ये दहशत किसी माओवादी वारदात की वजह से नहीं बल्कि बस्तर में इस दहशत की वजह एक वायरस है। जो बस्तर के नक्सली इलाकों में चोरी छुपे आने की तैयारी में है। कुछ लोग जो नक्सली दहशत वाले इलाकों से सफर करके आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से बस्तर में आ रहे हैं उनके साथ बस्तर में आन्ध्र स्ट्रेन आने का डर बना हुआ है। नक्सलियों के मांद से होते अगर कोरोना का आन्ध्र स्ट्रेन यहां पहुंचा तो बस्तर के वनवासी क्षेत्रों में तबाही ला सकता है।

दरअसल जिस महामारी को लेकर पूरा विश्व डरा सहमा हुआ है। कहीं वो महामारी बस्तर के इन बीहड़ो में बसे आदिवासियों के लिए काल न बन जाये। इंटर स्टेट कॉरिडोर पामेड़ और कोत्तापल्ली नक्सली मांद और पकड़ वाला क्षेत्र है। यह ऐसा इलाका है जहां नक्सलियों के बड़े लीडर रमन्ना और किशन के स्मारक सहित दर्जनों नक्सली लीडरों के स्मारक मौजूद हैं। इन सडक़ों से लोग बस्तर की सीमा में देर रात बिना कोरोना जांच के पहुंच रहे हैं। अर्धसैनिक बल और स्वास्थ्य विभाग की मजबूरी है कि इन रेड कॉरिडोर में आसानी से नहीं पहुंच सकती, क्योंकि इन इलाकों में जगह-जगह आईईडी और स्पाइक होल प्लांट होती है, जिसमें पैर पडऩे का मतलब मौत है। 

इधर आंध्र स्ट्रेन की सुगबुगाहट के बाद बस्तर के सरहदी इलाकों को सील कर दिया गया है। तेलांगाना और महाराष्ट्र से आने वाले सभी लोगों का एंटीजन और आरटीपीसीआर टेस्ट के बाद ही सीमा में प्रवेश दिया जा रहा है।

ज्ञात हो कि बस्तर के अतिनक्सल प्रभावित जिला बीजापुर में आंध्र म्यूटेंट आने का सबसे आसान और खतरनाक जंगली रास्ता  पामेड़ और कोत्तापल्ली हैं। ये दो ऐसी सडक़ें हैं जहां से देर रात बस्तर की सरहद में प्रवेश आसान है। वहीं अर्धसैनिक बलों और प्रशासन के लिए चुनौती भी यही सडक़ें हैं। क्योंकि इन सरहदी इलाकों में माओवाद की अच्छी खासी पकड़ है। ये माओवादियों के आधार वाला इलाका है। इन इलाकों में माओवादियों के टॉप लीडर रहे रमन्ना और किशनजी के साथ दर्जनों स्मारक मौजूद हैं। साथ ही पुलिस को टारगेट करने चप्पे चप्पे पर माओवादी यहां आईईडी और स्पाइक होल प्लांट करते हैं। जिसकी वजह से ये इलाका जानलेवा हो जाता है। 

वहीं दूसरी ओर माओवादियों के कोरोना से पीडि़त होने के दावों की माने तो ये पूरा इलाका तेलंगाना से लौटते मजदूरों की पनाह और रहवासी इलाका है। यहां ये अटकलें जरूर लगाई जा रही हैं कि माओवादी इन्हीं किसी आंध्र म्यूटेंट की संपर्क में आये होंगे। बीजापुर कलेक्टर रितेश अग्रवाल और सीएमएचओ डॉ. बीआर पुजारी भी मानते हैं कि बीजापुर से तेलंगना को जोडऩे वाली यह दो सडक़ो पर परेशानी तो है। माओवादग्रस्त इन इलाकों में वैक्सीनेशन और कोविड जांच के लिए इन जंगली, स्पाइक होल और आईईडी प्लांटेड इलाकों में जाना खतरनाक है।

इधर बताया जा रहा है कि बस्तर की धरती पर तांडव मचाने वाले नक्सली भी अब कोरोना के दहशत में हैं। पुलिस के आला अफसरों की माने तो नक्सली कोरोना के आंध्रप्रदेश के एपी एन440 के और महाराष्ट्र के म्यूटेंट से मर रहे हैं। नक्सलियों के डीकेएसजेडसी यानी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की सदस्य सुजाता कोरोना से पीडि़त बताई जा रही है और उसकी स्थिति नाजुक बनी हुई हैं। इसके अलावा दरभा डीवीसी जयलाल और गंगालूर एरिया कमेटी सचिव दिनेश के कई नक्सली कोरोना और फूड पॉइजनिंग की जद में हैं।

बिना जांच प्रवेश वर्जित -कलेक्टर
इस मामले को लेकर बीजापुर कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने बताया कि पामेड़ में थाना है। वहां नाकेबंदी की हुई हैं। वहीं पुजारी कांकेर से गलगम में कैम्प हैं। उन्हें निर्देश दिए गए है कि कोई भी बिना जांच के अंदर प्रवेश न कर सके।  कलेक्टर अग्रवाल ने बताया कि इसके अलावा अतिसंवेदनशील क्षेत्रों के ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य कर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे है। साथ बाहर से आने वालों का टेस्टिंग के बाद गांव में आने दिया जा रहा है। 

नक्सली कोरोना व फूड पॉजिनिंग के शिकार - एसपी
दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि उन्हें विशेष सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि बड़े नक्सली  फूड पॉजिनिंग व कोरोना के शिकार हुए हैं। इसमें डीकेएसजेडसी की सदस्य 25 लाख रुपये की इनामी सुजाता शामिल हैं। वह कोरोना से ग्रसित है। एसपी पल्लव के मुताबिक नक्सली सुजाता के सीने में पानी भर जाने से उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है। एसपी ने बताया कि सप्लाई लाइन जाम हो जाने से पुराने व खराब पदार्थो के सेवन से फूड पॉइजिंग हुई हैं। 

जहां टीम नहीं वहां ग्रामीणों पर आश्रित-पुजारी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बीआर पुजारी ने बताया कि पामेड़ में उनकी टीम तैनात है। लेकिन कोतापल्ली  रोड पर टीम नहीं हैं। ऐसे में जहां टीम नहीं हैं वहां गांव के ग्रामीणों पर आश्रित हैं। कुछ अंदरुनी क्षेत्रों के लोग किसी कारण जो बाहर गए थे उनका सर्वे कर जांच करने में थोड़ी दिक्कत तो हैं। 

बॉर्डर पर कड़ी चौकसी - सिंह
भोपालपटनम के एसडीओपी अभिषेक सिंह ने बताया कि बॉर्डर इलाका होने से तिमेड़ व तारलागुडा में नाका लगा हुआ है। पुलिस चेकपोस्ट से चौकसी कर रही है। उन्होंने बताया कि बाहर से आने वाले लोगों को आरटीपीसीआर की 72 घण्टे पूर्व की नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। नहीं होने पर उसका आरटीपीसीआर जांच यही किया जाएगा और रिपोर्ट आने तक उसे यही क्वारन्टीन किया जाएगा।  स्वास्थ्य, प्रशासन व पुलिस के जवान मुस्तैदी से काम कर रहे हैं।
 

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