जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 14 मई। जशपुर जिले के डूमरबहार कृषि केंद्र में कृषकों ने जल शक्ति अभियान के अंतर्गत कृषक जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया।
आर. के. भगत, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि आज की दुनिया में पानी का उपयोग घर, कृषि और व्यापार के क्षेत्र में अत्यधिक उपयोग में लाया जाने लगा है। अब ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में भी अत्यधिक बोरवेल स्थापित हो जाने पर भी मिट्टी के अंदर जल स्तर कम होने लगा है। और कुछ जगहों पर तो कई बोरवेल बंद भी हो चुके हैं।
ऐसे में पानी को संरक्षित यानी कि जल संरक्षण के विषय में हमें जल्द से जल्द सोचना होगा क्योंकि जल ही जीवन है। आज ना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बोरवेल बल्कि शहरी क्षेत्रों में कई बड़े कल कारखानों में पानी का उपयोग होने के कारण भी पानी की किल्लत होने लगी है। ऐसे में कृषि, घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए वर्षा जल को संरक्षित करना सबसे आसान और बेहतरीन तरीका माना जाता है।
इसके पश्चात मौसम वैज्ञानिक शिव कुमार भूआर्य ने बताया कि इस समय फसलों में नमी को संरक्षण करते हुए सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा सकता है और पौधों को उत्पादन हेतु ना अत्यधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है और ना ही बहुत कम पानी की इनमें एक निर्धारित मात्रा में पानी दिया जाए तो पौधों को नुकसान नहीं होता है और फसल उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
साथ ही कृषि वैज्ञानिक व प्रदीप कुमार कुजूर ने ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को सलाह दिये और बताया कि सफल फसल उत्पादन हेतु मृदा एवं नमी संरक्षण करें ताकि भविष्य में आने वाली समस्याओं से बचा जा सके। केंद्र के वैज्ञानिकों ने भी ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को ग्रीष्म काल में उगाई जाने वाली फसलों के कीट रोग नियंत्रण हेतु तकनीकी सलाह दी और किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समाधान भी किया।
फसलों में मुंग, उड़द, लौकी, भिंडी एवं अन्य सब्जियों किसानों के द्वारा लगाई गई हैं उनमें लगने वाले कीड़े व रोग प्रबंधन पर उचित तकनीक की जानकारी दी और नमी संरक्षण हेतु पानी की महत्वता और उपयोग में आने वाली तकनीकी विधियों के संबंध में जानकारी दी। ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों ने अपनी अपनी समस्याओं पर कृषि वैज्ञानिकों से प्रश्न किए। कृषि वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन प्रशिक्षण से जुड़े हुए समस्त किसानों को उनके प्रश्न के सुझाव के साथ तकनीकी सुझाव देकर समस्या का समाधान भी किया।
अंत में वैज्ञानिक अनीता लकड़ा ने इस कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन द्वारा उनके सुरक्षा एवं विभिन्न प्रकार के सावधानी बरतने के बारे में चर्चा की।