राजनांदगांव
अक्षय तृतीया से एक दिन पहले हुई कार्रवाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 मई। अक्षय तृतीया पर्व पर बाल विवाह का चलन जिले में अब भी बरकरार है। प्रशासन और महिला बाल विकास विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद हर साल अक्षय तृतीया पर्व पर एक्का-दुक्का बाल विवाह के मामले सामने आते हैं।
छत्तीसगढ़ के लोक त्यौहारों में से एक अक्षय तृतीया (अक्ती) पर्व में बाल विवाह की रोक के लिए हर ब्लॉक में एक विशेष टीम का गठन किया गया था। इसी के चलते पर्व से एक दिन पहले जिले में दो जगह अफसरों ने दबिश देकर बाल विवाह को रोक दिया। बताया जाता है कि महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती रेणु प्रकाश ने अपने मातहत क्षेत्रीय अफसरों को सतर्क रहकर ग्रामीण इलाकों में नजर रखने की हिदायत दी थी। जिसके चलते विभाग को खबर मिली कि दो जगह बाल विवाह की तैयारी चल रही है। अफसरों की विशेष टीम ने वैवाहिक स्थल पर पहुंचकर तत्काल शादी को रूकवाया।
इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा करते महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती प्रकाश ने बताया कि दो बाल विवाह के प्रकरण सामने आए थे। विवाह कराने की कोशिश के दौरान शादी पर रोक लगाई गई। इधर अक्षय तृतीया पर्व के दिन राजनांदगांव विकासखंड के एक गांव में एक बालिग युवक के साथ 14 वर्षीय बालिका का विवाह किए जाने की सूचना पर भी अफसरों ने दबिश देकर बालिका के जन्मतिथि से जुड़े दस्तावेज की जांच की। जिसमें बालिका की आयु 14 वर्ष 7 माह 5 दिन होना पाया गया। यहां बता दें कि बाल विवाह कराए जाने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के दंड का प्रावधान है। इसके तहत बालिक वर तथा बाल विवाह कराने वालों को 2 वर्ष की सजा का प्रावधान है।