कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 15 मई। कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग व इससे जुड़े कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। जिसमे सबसे महत्वपूर्ण सेवा एम्बुलेस और मुक्तांजलि की देखी जा रही है, सुबह-शाम सायरन बजाते ये एम्बुलेंस और इनके पायलट हजारों संक्रमितों को अपनी जान पर खेेलकर उन्हें समय पर कोविड अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचाई है। हालांकि इन पर अभी तक किसी की नजर नहीं पड़ी है।
परिवार उनका भी है, लेकिन ड्यूटी की खातिर सब कुछ छोड़ मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। कोरोना महामारी के बीच मरीजों को बचाने के लिए एंबुलेंस दौड़ रही है। चालकों के साथ इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) भी डटे हुए हैं। कोशिश यही रहती है कि मरीजों को सही समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके। इस बीच कोई ट्रीटमेंट्स की जरूरत होती है तो वह भी देते हैं। मरीजों को ले जाने में पूरी एहतियात बरतते हैं। जब से कोरोना कॉल शुरू हुआ है, तब से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। संक्रमण की शुरुआत में पहले तो थोड़ा डर लगा, लेकिन जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। 108 संजीवनी एक्सप्रेस में कार्यरत कुछ ईएमटी का कहना है कि संक्रमित मरीजों को अस्पताल लाने में बहुत ही एहतियात बरतनी पड़ती है। गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन भी देनी पड़ती है। प्राथमिकता के आधार पर मरीजों की जान बचाना वह अपना कर्तव्य समझते हैं। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य सेवा से जुड़े एम्बुलेंस सुविधा कोरोना कॉल में दिन-रात दौड़ रही है, 24 घंटे दिन हो या रात किसी भी समय सूचना मिलने पर संक्रमितों को लेने व वापस ले जाने के लिए तैयार रहते हैं। जिनमें सबसे ज्यादा चक्कर 108 संजीवनी एक्सप्रेस दौड़ रही है। संजीवनी एक्सप्रेस मरीजों को आसपास तो ला ही रही है समय पडऩे पर रायपुर और अम्बिकापुर भी लेकर उनकी जान बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसके पायलट और साथी बिना किसी हिचकिचाहट के मरीजों को पीपीई कीट पहन कर दिन रात लाने ले लाने में लगे हुए है।
कई एम्बुलेंस भी दौड़ नहीं है पीछे
कोरोना से मरीजो ंको बचाने अस्पताल में खडी अन्य एम्बुलेंस भी संक्रमितों को लाने ले जाने का कार्य कर रही है। जहां से भी सूचना मिलती है एम्बुलेंस तत्काल दौड़ लगाती है। पटना, चरचा, बैकुंठपुर सहित 4 एम्बुलेंस जिन्हें संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव ने प्रदान की है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। इनके भी जुट जाने से स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत पायलटों पर दबाव कम हुआ है। देर रात इन एम्बुलेंस को मरीजों का लाते आसानी से देखा जा सकता है।
ड्यूटी के प्रति समर्पित
बात मुक्तांजलि वाहन की करें तो इस वाहन के चालकों को कोई सानी नही है। मृत व्यक्ति के शव को कोविड अस्पताल से उनके परिजनों के घर तक और फिर पीपीई कीट की प्रक्रिया पूरी कर शव को सुरक्षित परिजनों को सौंपने के कार्य में लगी हुई है। कोविड अस्पताल में किसी संक्रमित की मौत होने या जिला अस्पताल में किसी मरीज की मृत्यु होने के बाद मुक्तांजलि वाहन से मृतक के शव को उसके घर तक पहुंचाने के काम में मुक्तांजलि वाहन भी लगातार दौड़ लगा रही है। इसके चालक संक्रमण से बचने के लिए हरसंभव सुरक्षा बरतने का प्रयास करते है। मृतकों को को अस्पताल से लेकर उनके घर पहुंचाकर पूरी एंबुलेंस के साथ-साथ खुद को सैनिटाइज करना पड़ता है। इन दिनों घर में भी अलग-थलग रहना पड़ता है, ताकि परिवार सुरक्षित रहे। कोरोना से डरना नहीं, लडऩा है, इसलिए हर वक्त सावधान रहना होगा।