जान्जगीर-चाम्पा

दादी के साथ घर के छह लोग हुए संक्रमित, कोरोना को दी मात
22-May-2021 12:28 PM
दादी के साथ घर के छह लोग हुए संक्रमित, कोरोना को दी मात

'छत्तीसगढ़' संवाददाता

बलौदा, 22 मई। कोरोना संक्रमण काल में हिम्मत और जज्बे से उबरने वाली एक नहीं कई माताएं परिवार ही नहीं समाज के लिए मिसाल बनी हैं। 
बलौदा विकासखंड के ग्राम सुल्ताननार निवासिनी 76 वर्षीया डोल कुवंर ने 40-45 आक्सीजन सैचुरेशन और शुगर की बीमारी से पीडि़त होने के बाद भी न केवल कोरोना को मात दी बल्कि अपनेे पूरे परिवार को संभाला। बच्चों में जोश भरा कि कोरोना से डरने की नहीं, डटकर मुकाबला करने की जरूरत है। दो दिन पहले वह संक्रमण मुक्त हुईं तो बेटों, बहुओं ने ही नहीं घर के बच्चों ने भी दादी की हिम्मत को दाद देते हुए खुशियां मनाईं।

टीकमसिंह पटेल पूर्व जनपद अध्यक्ष ग्राम में कृषक है। उन्होंने मां के कोरोना संक्रमण मुक्त होने की कहानी सिलसिलेवार बताई। उन्होंने बताया कि 2 अप्रैल को मां डोल कुंवर को वैक्सीन लगने के 3-4दिनों से बुखार-जुकाम हुआ। चूंकि  रिपोर्ट पॉजिटिव तब आई टीकम सिंह के भतीजे चंद्रशेखर पटेल मार्च में रायपुर से एक परीक्षा दिला कर लौटने के बाद उसे बुखार आई एक दो दिन बाद टेस्ट करवाने पर रिपोर्ट निगेटिव आई, इसके बाद मेरा पुत्र योगेश, और बहू को भी बुखार आने पर टेस्ट कराये जहां वे दोनों पाजेटिव आये इसके बाद हमारे परिवार के सभी 8 सदस्य का टेस्ट कराये, जिसमें हमारी मां डोल कुंवर उम्र 76 वर्ष सहित भाभी हरा बाई, पत्नी मोंगरा बाई, पुत्र योगेश और बहू बबिता की रिपोर्ट पाजेटिव आई वही भैया भेखराम,और मेरा रिपोर्ट निगेटिव उसी दिन भैया ,भतीजा और मेरा आरटीपीसी आर टेस्ट भी कराये थे।
डॉ. दिलीप जैन  ( क्रिटीकल केयर विशेषज्ञ )बलौदा की सलाह पर डोल कुँवर का इलाज शुरू किया गया, परिवार के मुखिया टिकम सिंह अपनी माँ को किसी बड़े अस्पताल में  भर्ती नहीं कराना चाहते थे, उनका डर था कि माँ वहां से वापस नहीं आएंगी,

अन्य सदस्यों की भी कोविड का उपचार घर मे ही  शुरू किए जहां पर बेटे और बहू की तबियत में सुधार होने लगा लेकिन मां, भाभी और पत्नी की तबियत बिगडऩे लगी, मां ने खाना पीना छोड़ दिया वह बेहोश होने लगी इसी दौरान मा की आक्सीजन सैचुरेशन 40-45 हो गया साथ ही भाभी, और पत्नी की भी आक्सीजन सैचुरेशन 94 से नीचे आने लगा इस बीच भैया भेख राम पटेल की आरटीपीसी आर रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई लेकिन उनमें कोई लक्षण नही थे, तो भैया मां की देख रेख करने लगे डॉ. दिलीप जैन ने स्वयं मां की आक्सीजन सैचुरेशन देखने के बाद उन्हें आक्सीजन के साथ उपचार प्रारंभ किया। 
उस समय घर के सारे सदस्य मां को गीतापाठ सुना चुके थे और तुलसी गंगाजल पिला कर उनके बचने की आस छोड़ उनके अंतिम संस्कार के लिए पीईपी किट मंगा कर व्यवस्था कर लिए थे। उसी समय भैया भेखराम की भी आक्सीजन सैचुरेशन 60 -65 हो गई हम घर वाले सभी डर गए कि सभी सदस्यों का आक्सीजन लेबल कम होने लगा।

कोरोना को हिम्मत से दी मात 
मां की मौजूदगी, उनका दुलार बड़े से बड़ा दुख दूर कर देता है।  एक ऐसा भी परिवार है। जहां मां नहीं दादी की जिंदादिली ने चार वर्षीय बच्चे सहित परिवार के छह लोगों को कोरोना संक्रमण से उबार लिया।डॉ दिलीप जैन के कड़ी मेहनत से दवाओं, आक्सीजन और एहतियात के साथ हिम्मत से कोरोना को मात दी। घर के सदस्यों के कोरोना संक्रमित होने पर परिवार की स्थिति के बारे  में जानकारी देते समय यह कहना नहीं भूले कि तनाव और भय से मुक्त होकर किसी भी मुश्किल से उबरा जा सकता है।

दादी ने डॉ.दिलीप जैन के सेवाभाव और उसके नर्सिंग स्टाफ जैकी, टंकेश्वर और संजू के द्वारा घर आकर किए गए इलाज के आभार व्यक्त किया। इस विषम परिस्तिथि में पूरे परिवार के सदस्यों को कोरोना से मुक्त कराया। 
 उन्होंने डॉक्टरों से सलाह लेकर दवाएं शुरू की। टीकमसिंह का कहना है कि कोरोना के खौफ को दिमाग पर न हावी होने देंगे तो जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। उन्होंने अपने मां की हिम्मत को दाद देते हुए कहा कि बुजुर्ग दादी ने मां की तरह खुद की चिंता छोड़कर सबको ठीक होने का हौसला दिया। आज घर के सभी सदस्य कोरोना को मात देकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे है।

पूरे गांव के लोग सतर्क हो गए
टीकमसिंह ने बताया कि हमारे यहां से सभी लोग के संक्रमित होने के बाद से गांव में मुनादी करा लोगों को घरों से बाहर निकलने से मना किया और सर्दी बुखार आने पर तत्काल टेस्ट कराने को कहा आज गांव के सभी सुरक्षित हंै।

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