कवर्धा

कोरोना ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें, सहकारी समितियों से नहीं मिल रहा खाद
25-May-2021 6:37 PM
कोरोना ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें, सहकारी समितियों से नहीं मिल रहा खाद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बोड़ला, 25 मई। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते एवं कोविड गाइड लाइनों से क्षेत्र के किसानों को सहकारी समितियों में खाद यूरिया व अन्य कार्यालयीन काम नहीं होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना काल में सहकारी समितियों के कर्मचारियों के ड्यूटी कोविड में लग जाने से भी सहकारी समितियों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। फल स्वरुप इनसे सीधे जुड़े किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

खाद की समस्या- इस विषय में जानकारी देते हुए बोड़ला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति में पंजीकृत ग्राम मण्डलाटोला के किसान अशोक वर्मा, राजकुमार वर्मा, दयाल वर्मा ने बताया कि अभी गन्ना की फसल के लिए एवं सब्जी लगा रहे किसानों को तत्काल में यूरिया डीएपी व पोटाश राखड़  की जरूरत है। पहले  यह सभी उचित मूल्यों में सहकारी समितियों से प्राप्त हो जाता था। लेकिन किसानों को सहकारी समितियों के बंद व काम नहीं होने के कारण इन्हें बाजार से दुगने दामों में खरीदना पड़ रहा  है। उन्होंने बताया कि बारिश के पहले ही गन्ना के फसल में ग्रोथ के लिए यूरिया पोटाश डीएपी डालना अति आवश्यक है, लेकिन समितियों के बंद होने से उन्हें खाद यूरिया के लिए भटकना पड़ रहा है या महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है।

 अन्य कार्यालयीन काम भी प्रभावित-कोविड की गाइडलाइन के चलते लगातार समितियों व बैंकों के बंद होने से किसानों को ऑन सीजन के समय कार्यालयीन व अन्य महत्वपूर्ण फाइनेंस संबंधी कार्य भी बुरी तरीके से प्रभावित हुए हैं। मसलन मानसून के पहले कृषकों द्वारा फाइनेंस वर्क, केसीसी लोन चाहिए होता है, लेकिन बैंक व समितियों के बंद होने से उन्हें केसीसी व फाइनेंस के लिए भटकना पड़ रहा है।

 हजारों किसान प्रभावित- विकासखंड बोड़ला में 9 समितियों के माध्यम से फाइनेंस केसीसी व खाद यूरिया पोटाश आदि का वितरण किया जाता है। लगातार लॉकडाउन व  कोरोना  के गाइडलाइन के चलते बैंक बंद होने से उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अकेले बोड़ला आदिम जाति सहकारी समिति में ही 500 से अधिक कृषक पंजीकृत है। ऐसे ही सभी 9 समितियों में हजारों की संख्या में किसान पंजीकृत जिन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

 बाजार से दोगुने दामों में खरीदने को विवश-सहकारी समितियों के बंद होने के कारण क्षेत्र के किसानों को मजबूरी में बाजार से दुगनी व अनाप-शनाप मूल्यों में डीएपी यूरिया, पोटाश, राखड़ खरीदा जा रहा है। इस विषय में ग्राम बद्दो के के कृषक अनुज वर्मा, रामकुमार वर्मा, संतोष  ने बताया कि गन्ने व सब्जी की फसल में इस समय यूरिया पोटाश आदि का प्रयोग किसानों द्वारा किया जाता है। समितियों के बंद होने के चलते 13 00  की डीएपी को बाजार में 1900 रुपये में खरीदा जा रहा है। इसी प्रकार यूरिया, राखड़, पोटाश बाजार से दोगुने दामों में खरीद में किसानों को आर्थिक रूप से क्षति उठानी पड़ रही है।

इन सभी विषयों पर सेवा सहकारी समितियों के लोगों ने नाम न छापने की शर्त के साथ बताया कि  वे  भी इस विषय में भी कुछ नहीं कर सकते  नियमों से ही कार्य करना होगा। कोरोना एवं उसके गाइड लाइनों के चलते समस्याएं बढ़ी हैं। गाइडलाइन का पालन करना सभी को अनिवार्य है। सोशल डिस्टेंसिंग व कार्यालय भीड़ जमा न करने को लेकर भी समितियों द्वारा प्रतिदिन 40 से 50 कृषकों का फाइनेंस, केसीसी पीएम सम्मान निधि का कार्य किया जा रहा है।

खाद वितरण के लिए भी गाइडलाइन के चलते भीड़ नहीं बढ़ाना है। इसलिए  भीड़ जमा न करते हुए एक बार मे 40 से 50 लोगों को बुलाकर खाद वितरण व अन्य कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी कुछ केंद्रों में डीएपी की उपलब्धता नहीं है और भीड़ नहीं लगाने के चलते डीएपी यूरिया पोटाश राखड़ एक साथ देने के चलते भी कुछ समस्याएं हैं जिनको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। 1 किसानों को यूरिया डीएपी राखड़ प्रदान करने  प्रदान करने में  कम से कम पांच से छह स्थानों में हस्ताक्षर लिया जाता है। यदि समितियों के किसानों को एक साथ बुला लिया जाएगा तो कोरोना की गाइड लाइनों का उल्लंघन होगा इसलिए भी किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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