बीजापुर
सभी तेलंगाना से लौटे हैं, सीमा पर स्वास्थ्य महकमा अलर्ट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 28 मई। तेलंगाना से सटे छत्तीसगढ़ के जारपल्ली में मिले दर्जनभर से ज्यादा कोरोना संक्रमितों ने स्वास्थ्य महकमे की चिंता बढ़ा दी है। एपी स्ट्रेन एन-440 के कोविड वैरिएंट को लेकर बॉर्डर इलाकों में अलर्ट जारी है।
ज्ञात हो कि बीते दो दिनों में इंटरस्टेट कॉरिडोर पामेड़ से लगे जारपल्ली में 21 कोरोना के नए संक्रमित मिले हैं। एपी स्ट्रेन की आशंका के बीच मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने शुरुआती लक्षणों को सामान्य बताया है। लेकिन संक्रमितों की ट्रेवल हिस्ट्री खंगालने पर पता लगा कि सभी तेलांगाना से लौटे हैं। ऐसे में प्रशासन भी अब इस इलाके में टेस्टिंग और कांटेक्ट ट्रेसिंग पर ध्यान दे रहा है।
नक्सली पैठ प्रशासन के लिए चुनौती
चूँकि पूरा बस्तर क्षेत्र नक्सलियों के प्रभाव वाला माना जाता है। जिसमें दक्षिण बस्तर के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर ऐसे जिले हैं, जो सीधे तेलांगाना या आंध्रप्रदेश से जुड़े हैं। यहां एपी एन-404के कोविड वैरिएंट के आने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। नक्सलियों की इस पूरे इलाके में मजबूत पैठ और पकड़ है, जिस वजह से इस बीहड़ इलाके में कोविड टीकाकरण भी बहुत कम हो पाता है। नक्सलियों की दहशत मेडिकल टीम को जंगलों में जाने से रोकती है। बस्तर के कई नक्सल प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्यकर्मियों को टीकाकरण कराने से मना करने की खबरें भी निकलकर सामने आई हैं। वहीं बीते दिनों कमकानार में कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मियों के अपहरण की खबर के बाद हालात काफी बदले हैं।
आखिर क्यों जाते लोग हैं बस्तर से तेलांगाना-आंध्र
दशकों से बस्तर के वनवासी जंगलों और नदियों से अपना भरण पोषण करता रहा है। फरवरी के शुरुआत से लेकर जून की पहली बारिश के दौरान दक्षिण बस्तर से जाने का दौर शुरू हो जाता है। सीधे सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमाओं से तेलांगाना के खम्मम, भूपालपल्ली और मुलगु जिलों में मजदूर जंगलों के रास्ते मजदूरी करने जाते हैं। जिसमें एक बड़ा कारण बस्तर में रोजगार की कमी और मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार है। नक्सली दहशत का हवाला देकर मनरेगा में जमकर मशीनों का इस्तेमाल होता रहा है। सरकार और प्रशासन सब जानकर भी आंखे मूंद लेते हैं। जिसकी वजह दो दशकों से भी ज्यादा समय से साल दर साल पलायन के आंकड़ों में हिजाफ़ा होता रहा है।
इंटरस्टेट कॉरीडोर में लोगों ने बनाई बैरिकेड
तेलांगाना से 10 किमी की दूरी पर पामेड़ मौजूद है। समूचे छत्तीसगढ़ को सीधे तेलांगाना से जोडऩे वाला और सघन माओवादग्रस्त इलाका है पामेड़। बीजापुर मुख्यालय से बासागुड़ा होते ये रास्ता सारकेगुड़ा, तर्रेम होते धर्माराम और फिर पामेड़ को जोड़ता है। पामेड़ के रास्ते पलायन से लौटने वाले मजदूर बस्तर की सीमाओं में दंतेवाड़ा या बीजापुर प्रवेश करते हैं। एहतियातन पामेड़ में लोगों ने पुलिस की मदद से कंसर्टिना वायर से बैरिकेड बना दी है। ताकि अवांछित लोगों को कोरोना टेस्ट के बाद ही प्रवेश दिया जाये।
बीजापुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीआर पुजारी ने बताया कि एपी स्ट्रेन एन-440 के खतरनाक वैरियंट है। पामेड़ में हमारी टीम टेस्टिंग कर रही है। तेलांगाना से लौटने वालों का टेस्टिंग और ट्रेवल हिस्ट्री खंगाला जा रहा हैं। अभी लक्षण सामान्य हैं। बाकी आंध्रप्रदेश स्ट्रेन के प्रति टीमो को अलर्ट पर रखा गया है। जारपल्ली में जो 21 लोग कोरोना पॉजिटिव आये है। उनमें अभी तक एपी स्ट्रेन के लक्षणों की कोई पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन एहतियात बरती जा रही है।