सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 29 मई। सर्व आदिवासी समाज द्वारा सुकमा जिले में कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए अपने-अपने घरों के सामने बैठकर विरोध प्रदर्शन किया गया। सिलगेर गोलीकांड मामले को लेकर सर्व आदिवासी समाज सुकमा के द्वारा कलेक्टर सुकमा को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया है।
सुकमा कोया समाज ब्लॉक अध्यक्ष संजय सोढ़ी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आदिवासी समुदाय को लगातार नक्सलवाद के नाम पर जेल भेजा जा रहा है, फर्जी मुठभेड़ के नाम पर हत्या की जा रही है और नक्सल संगठन द्वारा भी ग्रामीणों आदिवासियों को पुलिस मुखबिर के नाम, सुरक्षा के लिए तैनात जवान व आदिवासी जवानों एवं ग्रामीणों की हत्या कर रही है, जिसका विरोध सर्व आदिवासी समाज करता है ।
इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से हम सरकार व नक्सली संगठन से अपील करते हंै कि बस्तरवासियों को न फोर्स की जरूरत है, न नक्सलवाद की, बस्तरवासियों को शांत बस्तर, शिक्षित बस्तर, फ़ोर्स व नक्सल मुक्त बस्तर चाहिए। सिलगेर में ग्रामीणों द्वारा कैम्प का विरोध किया जा रहता तो सुरक्षबलों व ग्रामीणों के बीच विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए गोलीबारी में 3 आदिवासी ग्रामीणों की जान गई व 18 ग्रामीण बुरी तरह से घायल हुए है, इस घटना की जिम्मेदारी राज्य सरकार तय करें।
हमारा उद्देश्य साफ है नक्सली संगठन व शासन के बीच की लड़ाई में आदिवासी समुदाय के ऊपर हमेशा खतरा बना रहेगा, सिलगेर में आदिवासियों के ऊपर हुई गोलीकांड के विरोध में प्रदर्शन किया गया। यह विरोध प्रर्दशन राज्य सरकार के साथ साथ नक्सली संगठन के खिलाफ भी था।
आगे संजय सोढ़ी ने कहा कि सिलगेर गोलीकांड मामले को लेकर 27 मई को सर्व आदिवासी समाज सुकमा के द्वारा कलेक्टर सुकमा को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें सर्व आदिवासी समाज ने निम्नलिखित मांगें रखी- सिलगेर घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच किया जाए। राज्य सरकार मृतकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये व घायलों को 25-25 लाख रूपये की अनुदान राशि प्रदान करे व परिवार की सम्पूर्ण भरण पोषण के लिए परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी दी जाए।