सुकमा

चिंतलनार राशन गड़बड़ी मामला-एसडीएम ने पंचायत को दुकान से हटाया
06-Jun-2021 5:38 PM
चिंतलनार राशन गड़बड़ी मामला-एसडीएम ने पंचायत को दुकान से हटाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 6 जून।
सुकमा जिले के चिंतलनार पंचायत में पोटा केबिन के राशन गड़बड़ी मामले पर 10 दिवसीय नोटिस के बाद सरपंच से मिले असंतोषजनक जवाब के बाद एसडीएम के निर्देश पर पंचायत एजेंसी को राशन दुकान से पृथक कर दिया गया, जिसके बाद से मामला एसडीएम कोर्ट में विचाराधीन है।

इस पूरे मामले पर ‘छत्तीसगढ़’ ने पड़ताल में कुछ नए तथ्य पाए और छत्तीसगढ़ की टीम के हाथ वह दस्तावेज लगे जो पूरे मामले पर विभागीय पत्राचार से जुड़े हैं, जिसमें साफ तौर पर ‘छत्तीसगढ़’ ने पाया कि इस मामले पर आधे दर्जन पत्राचार में जिला खाद्य अधिकारी द्वारा खाद्य संचालक को गुमराह करते हुए असमायोजित प्रकरण को समायोजित किया जाना बताया गया। 

जहां जिला खाद्य अधिकारी के समायोजित किए जाने वाले पत्राचार पर कोंटा खाद्य निरीक्षक विक्रांत नायडू पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया, वहीं खाद्य निरीक्षक विक्रांत नायडू का कहना है कि आरोप बेबुनियाद है। खाद्य अधिकारी द्वारा समायोजन को लेकर हमसे कभी पत्राचार ही नहीं किया गया। 

इस मामले पर सुकमा कलेक्टर विनीत नन्दनवार ने बताया कि मामला कोंटा एसडीएम के अधीन है। प्रथम दृष्टया पंचायत एजेंसी को राशन दुकान से पृथक कर दिया गया है। आगे की कार्रवाई भी एसडीएम के अधीन जारी है। कोंटा एसडीएम ने इस बारे में बताया कि प्राथमिक कार्रवाई की जा चुकी है। सरपंच से असंतोषजनक जवाब प्राप्त हुआ आगे की कार्रवाई चल रही है। 

पत्राचार में असमायोजित प्रकरण को समायोजित बताया 
गौरतलब है कि चिंतलनार पोटा केबिन हेतु भेजे गए कल्याणकारी मद के 5 माह के 471 क्विंटल राशन को लेकर विभागीय और प्रशासनिक पत्राचार भी हुए, जिसमें गड़बडिय़ां देखने को मिली। प्रशासनिक तौर पर कोंटा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पत्राचार के माध्यम से समायोजन हेतु प्रशासन को पत्र लिखा गया। जिसमें 12 मार्च को पत्र क्रमांक 9384 में संचालक नॉन द्वारा प्रबंध संचालक को पत्राचार कर कल्याणकारी माध्य के चावल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशि में समायोजन करने हेतु पत्राचार किया गया। जिसके बाद दिनांक 6 अप्रैल को प्रबंध संचालक द्वारा जिला प्रबंधक छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाई को समायोजन हेतु पत्राचार किया गया। तत्संबंध में कलेक्टर  द्वारा संचालक खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम उपभोक्ता संरक्षण संचनालय से पत्राचार कर पोटा केबिन कोरोना की वजह से बंद होने के कारण कल्याणकारी मद के 471 क्विंटल चावल को पीडीएस के तहत समायोजन करने हेतु 23 अप्रैल 2021 को पत्र क्रमांक 134 के माध्यम से पत्राचार किया गया था।

मगर इस पूरे पत्राचार में एक और पत्राचार भी हुआ, जिसमें गड़बडिय़ां उजागर हुई , दिनांक 24 अप्रैल 2021 को इस विषय पर जिला खाद्य अधिकारी के आर पिस्दा द्वारा पत्र क्रमांक 134 में राशन चिंतलनार दुकान आईडी नंबर 612010033 में रखें कल्याणकारी मध्य के 471 क्विंटल चावल को पीडीएस में समायोजन किया जाना बताकर गुमराह किया गया। जिसके बाद प्रशासनिक जिम्मेदार भी निश्चिंत हो गए। आखिरकार मई में इस पूरे मसले पर विवाद शुरू हो गया, क्योंकि इस मसले का समायोजन हुआ ही नहीं था। चावल की चोरी के इस मसले में कहीं ना कहीं गलत जानकारी देने के चलते खाद्य विभाग पर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस मामले में ‘छत्तीसगढ़’ को खाद्य अधिकारी के आर पिस्दा ने बताया कि खाद्य निरीक्षक विक्रांत नायडू द्वारा मुझे समायोजन की गलत जानकारी दी गई थी, जिस वजह से मैंने वो पत्र लिखा। वहीं विक्रांत नायडू ने इस मामले पर कहा कि उनके द्वारा समायोजन को लेकर जिला खाद्य अधिकारी से कोई पत्राचार हुआ ही नहीं था।

सरपंच ने कल्याणकारी मद का चावल बेचकर पटाया था डीडी
गौरतलब है कि चिंतलनार राशन की गड़बड़ी की परत अब धीरे-धीरे खुल रही है। इस पूरे मसले पर यह बात भी सामने आई कि जब कल्याणकारी मद के राशन के उठाव न होने की वजह से पीडीएस का 3 माह का राशन रोक दिया गया, तो बिना उठाव के 2 लाख 80 हजार का भुगतान आखिर कैसे हुआ। 

‘छत्तीसगढ़’ को नाम न बताने की शर्त में यह बताया गया कि सरपंच द्वारा इन 471 क्विंटल चावल से ही चावल को अवैध रूप से लगभग 12 प्रति किलो की दर से बेचा गया और उससे वसूल की गई राशि से सरपंच द्वारा 2 लाख 80 हजार का बकाया डीडी भुगतान किया गया। तब जाकर पीडीएस के राशन का आबंटन जारी होना शुरू हुआ। विभागीय जांच के बाद मामला एसडीएम कोर्ट में है। फिलहाल सरपंच को दुकान से पृथक कर दिया गया, मगर इस पूरे मामले पर सरपंच से रिकवरी भी होनी है। 

कल्याणकारी मद के 6 रु के राशन को 12 रु में बेचा गया, जबकि रिकवरी शासन के खरीदी दर पर होनी है लगभग 30 से 32 रु प्रति किलो की। इसके अलावा खाद्य निरीक्षक द्वारा 219 क्विंटल चावल पर ही प्रकरण बनाया, जिसके 3 दिन के बाद पत्रकारों की टीम वहां पहुंची और चावल को 219 क्विंटल से भी कम पाया मगर खाद्य निरीक्षक ने दोबारा जानकारी के बावजूद वहां जाकर निरीक्षण करना जरूरी नहीं समझा। 

खाद्य निरीक्षक का कहना है कि जांच का आदेश मिला था, जांच कर प्रकरण बनाकर दे दिया गया है। इसके आगे फिलहाल उस मामले पर निरीक्षण के निर्देश मुझे नहीं मिले हैं।सुकमा के जिला खाद्य अधिकारी के आर पिस्दा का कहना है कि मेरे द्वारा लिखा गया पत्र एक त्रुटि है, मुझे खाद्य निरीक्षक ने जानकारी दी थी कि मामले का समायोजन हो चुका है और राशन पोटाकेबिन के सुपुर्द कर दिया गया है। इसलिए मैंने ये पत्राचार किया। हमारे द्वारा इस त्रुटि के सुधार के लिए संचालक को फिर पत्राचार किया जाएगा। मामले में क्या हो रहा मेरी जानकारी में नहीं है। मामला कोंटा एसडीएम के अधीन है। 
 

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