राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 जून। डीएमएफ समिति के अध्यक्ष कलेक्टर को नियुक्त और सांसदों को सदस्य मनोनीत करने में केंद्र के आदेश के बाद जहां कांग्रेसियों के मुंह फूले हुए हैं, वहीं भाजपा सांसदों ने आदेश के बाद संतोष जाहिर किया है।
कांग्रेसियों द्वारा कलेक्टर को जनप्रतिनिधियों से ऊपर का दर्जा दिए जाने संबंधी मंत्रियों के बयान के बाद सांसद संतोष पांडेय ने अधिकारियों के माध्यम से कृषकों, ग्रामीणों, कर्मचारियों पर किए गए कुशासन को याद दिलाया कि धान खरीदी में रकबा कम करना, रकबे की तुलना में कम धान खरीदना, मेड़ को क्षेत्रफल से अलग करना, घुमका सोसाइटी में धान बेचने के नाम पर घूस न देने से आत्महत्या करना जैसे अनगिनत उदाहरण भरे पड़े हैं। स्वयं उनके द्वारा 19 अगस्त 2019 को विकासखंड राजनांदगांव के ग्राम सहसपुरदल्ली, बाटगांव आदि ग्रामों में शाला भवन, पंचायत भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में ग्रामीणों द्वारा लगाए गए पंडाल को तहसीलदार द्वारा खड़े होकर न सिर्फ गिराया गया वरन तहस-नहस भी कर दिया गया। उपस्थ्ति ग्रामीणों को घुमका थाना में बैठाया गया। जिसकी पीड़ा आज भी ग्रामीणों में है।
ग्राम पंचायत के सचिव जो उस दिन अवकाश पर थे, उन्हें प्रकरण में संलिप्त मानते हुए एकतरफा निलंबित किया गया। उसी प्रकार मोहला विकासखंड के ग्राम भोजटोला में उप स्वास्थ्य केंद्र के उद्घाटन पर तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने प्रात: लोकार्पण की मनाही का आदेश दिया। उससे भी ऊपर जाते हुए शासन के इशारे पर तत्कालीन कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य ने अपने कार्यालय पत्र क्रमांक 5613 दिनांक 19 अगस्त 2019 के माध्यम से तानाशाही पूर्वक भाषा का प्रयोग करते बिना अनुमति के जनप्रतिनिधियों द्वारा लोकार्पण-भूमिपूजन पर प्रतिबंध लगाया। जबकि उसके बाद धड़ल्ले से मंत्रियों, विधायकों द्वारा लोकार्पण-भूमिपूजन किए गए। इन घटनाओं के उपरांत उन्होंने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के साथ प्रेसकान्फ्रेंस भी की थी। साथ ही संसद की अवमानना समिति में लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से प्रकरण का सविस्तार शिकायत दर्ज कराई गई है, जो समिति में विचाराधीन है। उसी प्रकार राजगामी संपदा की समिति सदस्य राजनांदगांव से सांसद व विधायक को हटाने का षड्यंत्र रचा जा चुका है। भूपेश सरकार के ऐसे काले कारनामों की लंबी फेहरिस्त अभी भी उनके संज्ञान में है, जिसे समय-समय पर जनता की अदालत में वे लाएंगे।