रायपुर
रायपुर, 11 जून। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि बिलासपुर से लगे कोनी क्षेत्र के पोंसरा गांव में रहने वाली एक महिला राशि सिंह को कुछ ग्रामीणों द्वारा जादू टोने के सन्देह में प्रताडि़त किया जाता था, जिससे वह शारीरिक व मानसिक रूप से भी परेशान रहती थी. इसी परेशानी व अपमान के चलते उसने 9 तारीख की सुबह 5 बजे ख़ुद पर मिट्टीतेल छिडक़ कर आग लगा ली।
सबसे पहले उनके 17 साल के बेटे ने अपनी माँ को जलते देखा, तब उसने मदद के लिए आवाज़ लगाई और अन्य परिजनों के आने पर सहयोग से कम्बल से आग बुझाने लगे. तथा बाद में उस महिला को सिम्स अस्पताल बिलासपुर में भर्ती कराया गया।
डॉ. मिश्र ने टोनही प्रताडऩा की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन से इस मामले में कड़ी कार्यवाही की मांग की है। कोई भी महिला आत्मदाह का निर्णय तभी लेती है जब वह शारीरिक, मानसिक रूप से अत्यधिक परेशान हो चुकी हो तथा उसे प्रताडऩा, परेशानी से बचने का कोई अन्य रास्ता नजर न आ रहा हो। 21 वीं सदी में ऐसी घटनाएं प्रगतिशील व सभ्य समाज के लिए अत्यंत शर्मनाक हैं।
डॉ . दिनेश मिश्र ने कहा मनुष्य एवं पशुओं की बीमारियों के अलग अलग कारण होते हैं ,कोई भी प्राणी संक्रमण, कुपोषण अथवा दुर्घटना से बीमार होता है. संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस, फंगस से होता है जिसका उसी के अनुसार उपचार किया जाता है. कुपोषण से मुक्ति के लिए संतुलित आहार, और दुर्घटनाओं से सावधानी से बचा जा सकता है . नजर लगने, जादू टोने जैसी मान्यता भ्रामक व अंधविश्वास हैं ,जिन पर ग्रामीणों को विश्वास नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा , जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं होता .तथा कोई नारी टोनही /डायन नहीं होती, यह सिर्फ मन का भ्रम, और सिर्फ अंधविश्वास है, इस कारण किसी भी निर्दोष पर डायन/ टोनही होने का सन्देह करना, उसे प्रताडि़त करना शर्मनाक तथा गम्भीर अपराध है .
डॉ मिश्र ने कहा हमारी प्रशासन से मांग है कि इस मामले पूर्ण जाँच कर उस महिला की प्रताडऩा में अनेक दिनों से शामिल रहे सभी दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए उन्हें कड़ी सजा मिले ,तथा निर्दोष प्रताडि़त महिला को उपचार न्याय,मुआवजा मिल सके.