राजनांदगांव
नांदगांव के असंतुष्ट नेताओं से मेल-मुलाकात से सियासी खलबली
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 जून। प्रदेश भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गढ़ माने जाने वाले राजनांदगांव में तीन दिन का वक्त बिताया। दिलचस्प बात यह है कि उनके दौरे को लेकर प्रदेश भाजपा के पास कोई जानकारी नहीं है। तीन दिन के दौरे में साय ने राजनांदगांव के कई असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात की। साय की राजनांदगांव शहर में मौजूदगी से सियासी खलबली मच गई है। उनके प्रवास के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि साय ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के विरोधी नेताओं से सिलसिलेवार मुलाकात की है। राज्य की सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। बताया जा रहा है कि साय ने स्थानीय रमन विरोधी नेताओं के साथ बैठक कर मौजूदा राजनीतिक हालत को लेकर चर्चा की है। सियासी रूप से साय को रमन का कट्टर विरोधी माना जाता है।
प्रदेश की राजनीति में साय की दिग्गज आदिवासी नेता के रूप में गिनती होती है। हालांकि वह 15 साल के भाजपा के कार्यकाल में उपेक्षित रहे। बताया जा रहा है कि लगातार घटते कद की वजह से साय ने अपनी राजनीतिक वजूद को मजबूती देने के लिए दौरे की शुरूआत की है। राजनीतिक हल्के में चर्चा है कि राजधानी रायपुर में प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के पहले प्रवास में साय को बैठक में जाने के दौरान रोक दिया गया था। इस घटना वह काफी अपमानित महसूस किया था। रमन विरोधी नेताओं के साथ बैठक से संगठन में हलचल मच गई है। लंबे समय बाद राजनांदगांव पहुंचे साय ने भाजपा के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की है।
बताया जा रहा है कि साय से जिलाध्यक्ष मधुसूदन यादव ने भी भेंट की है। वहीं कुछ और दिग्गज नेताओं के घर पहुंचकर साय ने पार्टी की स्थिति पर चर्चा की है। इसके अलावा वनांचल मोहला-मानपुर तथा डोंगरगांव के भाजपा नेताओं से भी भेंट कर साय ने कई मुद्दों पर बातचीत की। दरअसल उनके दौरे को लेकर यह बात भी सामने आई है कि वह अपनी राजनीतिक हैसियत को आंकने के लिहाज से दौरा कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह के गढ़ में साय की तीन दिन की मौजूदगी से यह स्पष्ट झलक रहा है कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है।