बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 12 जून। जिला बालोद में अंचल के किसान परंपरागत खेती से हटकर अब इस आधुनिक तरीके से नए किस्मों के धान का उत्पादन कर रहे हैं, इससे अच्छी पैदावार के साथ-साथ प्रति एकड़ अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।
नर-नारी धान की खेती ने किसानों की तकदीर बदल दी है। इस सत्र बालोद क्षेत्र के किसानों नर नारी फसल के उत्पादन के माध्यम से अधिक लाभ अर्जित किया है जिसमें क्षेत्र के ओरमा, बेलमांड, नवागांव सहित गुरूर क्षेत्र के किसान शामिल है। पहले 100 एकड़ से शुरू हुआ यह फसल उत्पादन अब छत्तीसगढ़ के धमतरी, बालोद, महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, गरियाबंद, कांकेर में लगभग 35 हजार एकड़ तक पहुंच गया है, नर नारी फसल के उत्पादन से किसानों की तकदीर बदल रही है।
धान की प्रजाति के ऊपर उसका मूल्य निर्धारित रहता है, तथा धान स्वयं कम्पनी ले जाती है, बेचने के लिए कहीं भटकने की आवश्कता नहीं होती। किसानों को इस खेती के लिए समय-समय से कर्मचारियों माध्यम से दिशा-निर्देश दिया जाता हैं।
इस फसल के उत्पादन के लिए 15 दिन तक अलग-अलग कतार में लगे नर व नारी के पौधे को बाली आने के बाद अनिवार्य रूप से क्रांसिग किया जाता है। तापमान 30 से 35 डिग्री तक होनी चाहिए। इस धान के उत्पादन के लिए अनुकूल रहता है। बालोद जिले के ग्रामीण आंचल में हीरापुर सांकरा पडक़ी भाट बेलमांड, ओरमा के किसान संकर धान बीज उत्पादन से सामान्य धान की अपेक्षा अधिक दोगुना लाभ ले रहे हैं। ग्राम बेलमांड के कई जागरूक किसान इस बार रबी सीजन में पारंपरिक किस्म की बजाय महीको कम्पनी से जुडक़र ‘नर-नारी’ की फसल लगाई है। ग्राम के ही अन्य किसान दानी राम साहू, गंभीर साहू, तीरथ साहू, मुकेश साहू नर नारी फसल की पैदावारी ले रहे हैं।