राजनांदगांव
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 जून। घोर नक्सलगढ़ बुकमरका के एक युवक को नक्सल सप्लायर होने के आरोप में गिर तार करने से आदिवासी समाज भडक़ गया है। समाज का आरोप है कि वनांचल के युवक के साथ पुलिस ने षडयंत्र किया है। बारूद और अन्य समान की सप्लाई करने के मामले में शनिवार को मानपुर पुलिस ने युवक पर जनसुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई कर जेल भेज दिया है।
बताया जाता है कि युवक दिलीप दुग्गा पर हुई पुलिस कार्रवाई से मानपुर ब्लॉक के सैकड़ों गांव के आदिवासी विरोध करने एकजुट हो गए है। पुलिस का दावा है कि आरोपी युवक को पुख्ता सुबूत के साथ गिरफ्तार किया है। जबकि आदिवासी समाज ने पुलिस के दावे से उलट कहा है कि युवक वनोपज लेकर बाजार जा रहा था। पुलिस ने मोटरसाईकिल के मालिक को छोडक़र युवक को फंसाते कार्रवाई की है।
बताया जा रहा है कि मानपुर के अलावा महाराष्ट्र से सटे करीब 170 गांव के आदिवासी पुलिस पर झूठे आरोप के तहत कार्रवाई करने का खुला विरोध कर रहे है। वनांचल के एक आदिवासी प्रमुख सरजू टेकाम ने सोमवार को थाना का घेराव किया है।
वहीं आदिवासी समाज की क्षेत्रीय समाजसेवी नम्रता सिंह ने भी पूरी कार्रवाई को लेकर ज्ञापन दिया है। इस संबंध में श्रीमती सिंह ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि प्रांरभिक रूप से पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है। जानकारी में यह स्पष्ट लग रहा है कि युवक को फंसाने के लिए बारूद-डेटोनेटर व अन्य सामान पुलिस ने रखा है। उनका कहना है कि तत्काल युवक को रिहा कर मामलें की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
बताया जा रहा है कि आदिवासी समाज ने पूरे मामले को लेकर पुलिस से आरपार की लड़ाई करने का मन बना लिया है। पुलिस पर लगे आरोपों को खारिज करते नक्सल ऑपरेशन एएसपी जयप्रकाश बढ़ई ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि दिलीप दुग्गा का नाम रोजनामचे में पहले से दर्ज है। प्रामामिण सुबूतों के आधार पर ही कार्रवाई हुई है। इस बीच गांवों में पुलिस रवैय्ये को लेकर आदिवासी समाज लगातार बैठके कर रहा है।
बताया जाता है कि सामाजिक लोगों का कहना है कि पुलिस-नक्सल लड़ाई में बीहड़ के युवक बेवजह पीस रहे है। पुलिस का साथ नही देने पर नक्सल समर्थक का ठप्पा लगा दिया जाता है। वहीं नक्सली बेबुनियाद आरोप में आदिवासियों की हत्या कर रहे हैं। बताया जाता है कि दिलीप दुग्गा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के प्रति आक्रोश पनप रहा है। पुलिस पर लगे आरोपी बेहद ही संगीन है। ऐसें में समाज उच्चस्तरीय जांच करने की मांग पर अड़ा हुआ है।