महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 17 जून। गैस की कीमतों में लगातार उछाल आने के कारण जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार रसोई गैस की रिफिलिंग कराने के बजाए चूल्हे जलाकर खाना बनाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने धुएं से महिलाओं को मुक्ति दिलाने के लिए नि:शुल्क उज्जवला योजना की शुरूआत करते हुए मुफ्त में सिलेंडर का वितरण किया था। महासमुंद जिले के एक लाख 74 हजार 488 हितग्राहियों को इस योजना के तहत सिलेंडर का वितरण किया गया, लेकिन इन हितग्राहियों पर यदि रिफिलिंग के आकड़ों पर नजर डाले तो प्रति महीने 22 हजार हितग्राही ही रिफिलिंग कराते हैं। शेष एक लाख 72 हजार हितग्राही खाली सिलेंडर अपने-अपने घरों में रखे हंै। वे आज भी चूल्हे से खाना बना रहे हैं। इसकी मुख्य वजह गैस की बढ़ती कीमत को बताई जाती है। हर महीने गैस की कीमत बढऩे के कारण गरीब रिफिलिंग नहीं करा पाते हैं। वर्तमान में गैस की कीमत लगभग 880 रुपए है।
जानकारी के मुताबिक पिछले साल लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने ऐसे परिवारों को जो उज्जवला के हितग्राही हैं, रिफिलिंग कराने के रुपए दिए थे। जिसकी वजह से उज्जवला की रिफिलिंग प्रतिशत 95 प्रतिशत थी। यह प्रतिशत अप्रैल और मई दो महीने तक जारी थी। लेकिन इस साल लॉकडाउन में रिफिलिंग के लिए रुपए उज्जवला के हितग्राहियों के खातों में जमा नहीं हुई इसलिए बीते तीन महीने से रिफिलिंग का प्रतिशत 12 से 15 है। इस तरह दो महीने में 25 प्रतिशत तक ही रिफिलिंग दर्ज की गई है।
जानकारी के मुताबिक महासमुंद जिले में कुल 18 डिस्टीब्यूट्री है। इनके पास करीब 1 लाख 74488 उज्जवला के हितग्राही हैं। मई महीने में तीनों कंपनी से अप्रेल में 21 हजार 204 व मई में 22 हजार 035 हितग्राहियों ने ही रिफिलिंग कराया है। जून महीने का प्रतिशत भी इसी तरह रहेगा, क्योंकि अभी तक 5 हजार लोगों ने ही कराया है। जून समाप्त होने में अभी समय है, लेकिन रिफिलिंग की संख्या 22 हजार से अधिक नहीं है। ये वही हितग्राही हैं, जो प्रति महीने रिफिलिंग कराते हैं जिसमें अधिकांश शहरी क्षेत्र व आसपास के गांव के हंै।
जबकि पिछले साल अप्रैल, मई व जून में रिफिलिंग का 95 प्रतिशत रिकार्ड था। तब केंद्र सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगाया था। उस समय केंद्र सरकार ने सब्सिडी बंद कर सभी उज्जवला हितग्राहियों के खातों में 600 रुपए जमा किए थे। लगातार तीन महीने तक हितग्राहियों के खातों में रिफिलिंग के लिए रुपए जमा हुए थे। जिसका फायदा उठाकर हितग्राहियों ने अपने-अपने सिलेंडर का रिफिलिंग कराया था। इस साल लॉकडाउन में रिफिलिंग के लिए रुपए हितग्राहियों के खातों में जमा नहीं किए थे।