सुकमा

सिकल सेल में नियमित टीकाकरण कर कमजोर बच्चों को दीर्घायु बनाया जा सकता है- सीएमएचओ
18-Jun-2021 8:14 PM
सिकल सेल में नियमित टीकाकरण कर कमजोर बच्चों को दीर्घायु बनाया जा सकता है- सीएमएचओ

   जनवरी 2020 से जिले में 400 से अधिक लोगों में सिकल सेल के लक्षण मिले     

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 18 जून।
सिकल सेल के प्रति प्रभावी नियंत्रण करने तथा इस रोग से पीडि़त लोगों का सहयोग करने के लिए हर वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जाता है। साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार वर्ल्ड सिकल सेल डे मनाने की शुरुआत की थी ताकि इस बीमारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचान मिल सके। 

सिकल सेल कोई संक्रामक बीमारी नहीं है। यह बीमारी मुख्य रूप से एक आनुवांशिक त्रुटि या दोष के कारण होती है। जब किसी बच्चे को अपने माता-पिता दोनों से सिकल सेल के जीन्स मिलते हैं तो उस बच्चे को सिकल सेल बीमारी हो जाती है। यदि माता-पिता में किसी एक को सिकल सेल डिजीज है, तो शिशु के स्वस्थ होने की उम्मीद अधिक होती है, लेकिन वह इसका वाहक हो सकता है। यानी वे अपने बच्चों को सिकल सेल जीन ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसे लोगों में या तो बीमारी के बेहद हल्के लक्षण नजर आते हैं या फिर कोई लक्षण नहीं दिखते।
  सीएमएचओ डॉ. सी.बी.पी. बंसोड़ ने बताया कि सिकलसेल एनीमिया दरअसल एक ऐसी स्थिति है, जब लाल रक्त कोशिकाएं हीमोग्लोबिन में गड़बड़ी के कारण अर्धचन्द्राकार या अन्य टेढ़े-मेढ़े अकार की हो जाती हैं और कठोर हो जाती हैं। परिणामस्वरूप ये कोशिकाएं सामान्य रक्त प्रवाह की तरह नहीं बहतीं बल्कि एक दूसरे से चिपक कर खून का रास्ता जाम कर देती हैं। इससे शरीर के अन्य ऑर्गन व कोशिकाओं में उपयुक्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। साथ ही ये कोशिकाएं आगे चलकर स्प्लीन में यानि ऐसी जगह जाकर अटक जातीं हैं जहां पुरानी रक्त कोशिकाएं नष्ट होतीं हैं। नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण सामान्य गति से नहीं हो पाता, जिससे मरीज के शरीर में खून की कमी होने लगती है। सामान्य आरबीसी की उम्र तकरीबन 120 दिन होती है, जबकि ये दोषपूर्ण सेल अधिकतम 10 से 20 दिन तक जीवित रह पाते हैं।

  उन्होंने बताया सिकल रोग से ग्रस्त बच्चे में खून की कमी होती है जिस कारण बच्चे कमजोर होते हैं व इन्हें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे बच्चों का टीकाकरण व अन्य जरूरी दवाएँ देकर उन्हें दीर्घायु बनाया जा सकता है । सिकल सेल रोग के कारण होने वाले प्रभाव व विकारों के  उचित इलाज से सिकल रोगी को लंबा जीवन मिल सकता है। इसके अतिरिक्त विवाह पूर्व अगर रक्त जाँच कर यह पता कर लिया जाए कि इनमें सिकल सेल के जीन तो नहीं है और यदि दोनों में सिकल सेल पाये जाते हैं या दोनों सिकल सेल रोगी हैं तो उन्हें शादी नहीं करनी चाहिए । 

इस प्रकार ऐसे लोगों को आपस में शादी न करके सिकलग्रस्त बच्चे की उत्पत्ति को भी रोकी जा सकती है। ऐसे में परिवार जिनमें किसी को यह रोग पहले से है, तो फैमिली प्लानिंग करने से पहले डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।
   स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जनवरी 2020 से मई 2021 तक ओपीडी में आए रोगियों के रक्त जांच में 400 से अधिक लोगों में सिकल सेल के लक्षण मिले हैं।

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