रायपुर

राज्य सरकार के ढाई साल पेंशनरों के लिए बेकार-नामदेव
19-Jun-2021 6:27 PM
राज्य सरकार के ढाई साल पेंशनरों के लिए बेकार-नामदेव

रायपुर, 19 जून। राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने मुख्यमंत्री मंत्री भूपेश बघेल सरकार के बीते ढाई वर्ष को पेंशनरों के लिए बेकार निरूपित करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद पेंशनरों हित मे लगभग इन 20 वर्षो में किसी सरकार ने कुछ नहीं किया। 

ढाई साल पूर्व कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल सरकार से पेंशनरों की बहुत आशाएं थी जो इन बीते ढाई वर्षो में पूरी तरह धरासाई हो गया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से पेंशनरों की प्रमुख समस्या राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा और सेन्ट्रल पेंसन प्रोसेसिंग सेंटर स्टेट बैंक गोविदपुरा भोपाल की छत्तीसगढ़ राज्य में पृथक स्थापना है और अब तक दोनों ही समस्या जस के तस बनी हुई हैं। जिसमें पेंशनरी दायित्वों बंटवारा नही होने से हर आर्थिक भुगतान के लिये मध्यप्रदेश शासन से सहमति लेना अनिवार्य है। 

इसी तरह पीपीओ जारी होने के बाद हर प्रकरण को स्टेट बैंक भोपाल स्थित सीपीपीसी शाखा में भेजा जाना अनिवार्य है जिसके कारण पेंशन भुगतान में कई महीने विलम्ब हो जाता है और बढ़ती महंगाई को लेकर आंदोलनकारी कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में सरकार है जो पेंशनरो की महंगाई राहत की 5 प्रतिशत राशि की किस्त जुलाई 19 से दबाए बैठी है।पेन्शनर महंगाई से त्रस्त केन्द्र और राज्यदोनों सरकारों के बीच पिसा जा रहा है।

जारी विज्ञप्ति में पेन्शनर फेडरेशन ने आगे बताया है कि राज्य सरकार ने आज तक पेंशनरो के प्रतिनिधि मंडल को मिलने का अवसर नही दिया हमारी छठवें और सातवें वेतनमान के एरियर देने का मामला लटका पड़ा है और जुलाई 19 से 5 प्रतिशत केन्द्र के समान घोषित महंगाई राहत की राशि अटका रखे हैं जबकि इस राशि का भुगतान राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी उसी तारीख से राज्य के खजाने से प्राप्त कर रहे हैं जब से केन्द्र सरकार ने घोषित किया है। 

और तो और बढ़ती महंगाई को लेकर केंद्र के मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रही कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने जुलाई 19 से 5 प्रतिशत केन्द्र के समान घोषित महँगाई राहत की राशि को भी अटका कर रखे हुए हैं जबकि इस राशि का भुगतान राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियोँ को उसी दिनाँक से राज्य के खजाने से भुगतान कर रहे हैं जब से केन्द्र सरकार ने इसे घोषित किया है।

इन स्थितियों से स्पष्ट हो जाता है कि भूपेश बघेल सरकार का ढाई साल पेंशनरों के लिये क्यो? बेकार है।

यह भी उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ शासन के बीच पेंशनरी दायित्व के बंटवारे से मध्यप्रदेश सरकार को आर्थिक हानि होना है इसलिए मध्यप्रदेश शासन 20 वर्षो से टालती आ रही हैं और चूंकि दोनों ही राज्यों एक ही राजनीतिक दलों की सरकार होने से मिलीभगत के कारण मामलें का जानबूझकर निराकरण नही किया गया परन्तु अब मध्यप्रदेश में भाजपा की और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होने के बाद बंटवारे का मामला क्यों लंबित है, समझ से परे हैं जबकि पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा और स्टेट बैंक सीपीपीसी के छत्तीसगढ़ में स्थापना नहीं होने से छत्तीसगढ़ शासन को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, ज्ञात हो कि मार्च 21 में सीपीपीसी के छत्तीसगढ़ में स्थापना हो जाने का खूब हल्ला मचाया गया जो बाद में झूठ साबित हो गया, वास्तव में छत्तीसगढ़ में इसके लिये दो अधिकारी नियुक्त किये गए जो केवल यहाँ पेंशनरों होंनेवाली समस्याओं से भोपाल कार्यालय तक अवगत कराकर केवल निराकरण के प्रयास करेंगे।उनमें से एक का 2महीने में ही मुंबई स्थानांतरण किया जा चुका है और इन सभी महत्वपूर्ण मामले से राज्य में जिम्मेदार आइएएस अधिकारीगण भूपेश सरकार को अंधेरे में रखे हुए है, सरकार हो रहे आर्थिक नुकसान से भी अनभिज्ञ है।

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