रायगढ़
ग्रामीणों ने एनएच किया जाम, सीमांकन के आश्वासन पर मानें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 19 जून। वर्षों से बंद पड़े उद्योग के द्वारा लीज की जमीन पर कब्जा जमाए रखने के खिलाफ जिला मुख्यालय से सटे ग्राम जोरापाली के ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं। सरपंच तथा पंचों के नेतृत्व में ग्रामीणों ने गुरूवार की शाम रायगढ़-खरसिया राष्ट्रीय राजमार्ग में सांकेतिक चक्काजाम करके लीज की जमीन को मुक्त कराकर पंचायत को सौंपने की मांग उठाई।
शहर से सटे जोरापाली में गणेश फेरो एलायज उद्योग स्थापित है, जो पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। बताया जाता है कि उद्योग प्रबंधन द्वारा अपने स्लेक इत्यादि को रखने के लिए एनएच के बगल में करीब साढ़े 3 एकड़ जमीन उद्योग विभाग से लीज पर ली गई थी। जोरापाली पंचायत की यह जमीन पिछले कई वर्षों से बंद पड़े उद्योग के पास अब भी कब्जे में बनी हुई है। जबकि गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि लीज की जमीन के पास पंचायत का श्मशान घाट है तथा पंचायत से लीज की जमीन पर ही मुख्य मार्ग पहुंचने के लिए सडक़ भी स्वीकृत हो चुका है। इसके बावजूद उद्योग प्रबंधन द्वारा लीज की जमीन को छोडऩे के लिए हीला हवाला किया जा रहा है। जिसके चलते पंचायत का विकास कार्य अवरूद्ध हो रहा है।
पंचायत के इस जमीन को लीज से मुक्त कराने के लिए गुरूवार को जोरापाली पंचायत के सरपंच भगत सिदार के नेतृत्व में 50 से अधिक महिलाएं जोरापाली के समीप ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहुंची और सांकेतिक चक्काजाम करते हुए लीज की जमीन को मुक्त कराने की मांग रखी। चक्काजाम आंदोलन में ग्राम पंचायत की पंच वेदमति, कमला, सजन व जानकी बाई की भी उपस्थिति रही। ग्रामीणों के द्वारा चक्काजाम किए जाने के कारण एनएच के दोनों तरफ भारी वाहनों की लंबी कतार लग गई। आक्रोशित ग्रामीण लीज वाली जमीन का सीमांकन करने की मांग पर अड़े हुए थे।
चक्काजाम की जानकारी मिलने पर नायब तहसीलदार श्री राठौर मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को समझाईश देते हुए जल्द से जल्द उक्त लीज वाली जमीन का सीमांकन कराने की बात कहते हुए चक्काजाम समाप्त करने के लिए कहा। तब जाकर महिलाएं एनएच से हटीं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्थानीय प्रशासन के द्वारा लीज वाली जमीन का सीमांकन कराकर उक्त जमीन पंचायत को जल्द नहीं सौंपी गई तो वे फिर से एनएच पर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
इस संबंध में नायब तहसीलदार श्री राठौर से ‘छत्तीसगढ़’ ने चर्चा की तो उनका कहना था कि ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर लीज वाली जमीन का सीमांकन कराने के बाद संबंधित उद्योग को नोटिस जारी कर उक्त जमीन पंचायत को सौंपने की कार्रवाई की जाएगी।