राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 जून। शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय राजनांदगांव में 18 जून को प्राचार्य डॉ. आईआर सोनवानी के मार्गदर्शन में जैव विविधता का ह्मस-कारण एवं संभावनाएं’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार (ऑनलाइन) का आयोजन प्राणीविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
प्राचार्य डॉ. सोनवानी ने कहा कि किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के परिवेश में पाए जाने वाले सजीवों की विभिन्नता को जैव विविधता कहते हैं, खाद्य श्रंृखला के आधार पर जीव एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, यदि कोई भी कड़ी विलुप्त होती है तो पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन आ जाता है, तेजी से विलुप्त हो रहे जीव व पौधे चिंता का विषय है।
वेबीनार के मुख्य अतिथि डॉ. एस.के.सिंह कुलपति स्व. महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय जगदलपुर (बस्तर) ने कहा कि देश की जैव विविधता पर भौगोलिक परिचर्चा करना आवश्यक है। डायनासोर जैसे विशालकाय जीव हमेशा-हमेशा के लिए विलुप्त हो गए। मानव ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए जीव जंतुओं व वनस्पतियों को नष्ट किया। जिसके कारण जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्याएं बलवती हो रही है। डॉ. शशिकांत रे ने कहा कि मानव प्रकृति के दोहन में लगा है। जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। डॉ. विरेन्द्र ए. शेंडे ने जैव विविधता के महत्व, वनों के संगठन, छत्तीसगढ़ में जैव विविधता, बाह्य व आंतरिक संरक्षण, विविधता पार्क पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. अनिल कुमार ने जेनिटिक विविधता, मानव के विकासक्रम, रिकम्पटेड जीन, जीनी बहुरूपता पर अपने सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किए। अंत में प्रतिभागियों द्वारा प्रश्न पूछे गए। जिसका समाधान वक्ताओं ने किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. एसआर कन्नोजे तथा आभार प्रदर्शन डॉ. स्वाति तिवारी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. निर्मला उमरे, डॉ. अबध किशोर झा, प्रो. अनिल चंद्रवंशी, डॉ. फुलसो राजेश पटेल, डॉ. एलिजाबेथ भगत, नितिन कुमार शांडिल्य एवं षडानन वर्मा का विशेष सहयोग रहा।