बीजापुर
शहीदों की याद में बनाया शहीद स्मारक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 29 जून। नौ साल पहले सारकेगुड़ा में सुरक्षाबलों की गोली से मारे गए 17 ग्रामीणों की नौवीं बरसी मानते हुए सोमवार को सारकेगुड़ा व आसपास के हजारों ग्रामीण एकत्रित होकर अपनों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सारकेगुड़ा में मूल निवासी मंच बीजापुर के झंडे तले हुए कार्यक्रम में दर्जन भर गांव के हजारों आदिवासी शामिल हुए। यहां नौवीं बरसी के मौके पर अपनों की याद में ग्रामीणों ने पत्थरों का एक शहीद स्मारक बनाया और उस पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
ज्ञात हो कि 28 जून 2012 की दरमियानी रात बासागुड़ा थाना क्षेत्र के सारकेगुड़ा, राजपेटा व कोत्तागुड़ा के ग्रामीण बीज पंडुम मनाने खेत में जुटे थे। ग्रामीणों का आरोप था कि सारकेगुड़ा, कोत्तागुड़ा व राजपेटा के ग्रामीण आदिवासी रीति रिवाज के मुताबिक बीज पंडुम मना रहे थे, तभी सुरक्षाबलों ने ग्रामीणों को नक्सली समझकर उनपर गोलियां चला दी थी। जिसमें सारके रमन्ना, हपका मोंटू, कोरसा बिकमा, कुंजाम मल्ला, माड़वी आयतु, काका रमेश, काका पार्वती, इरपा चिनक्का, हपका छोटू, मडक़म सोमैया, काका सेमनटी, काका रमेश, काका पार्वती, इरपा मुन्ना, काका संमैया, काका सरस्वती व काका राहुल की मौत हो गई थी।
इधर सोमवार को सारकेगुड़ा की नौवीं बरसी मानने दर्जन भर गांवों के हजारों ग्रामीण जुटे थे। इसमें समाजसेवी संस्था मानवाधिकार कार्यकर्ता व वकीलों ने भी शिरकत की और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की मांग। बरसी के मौके पर ग्रामीणों ने सारकेगुड़ा में अपनों की याद में पत्थरों का एक विशालकाय शहीद स्मारक बनाया है।
सारकेगुड़ा बरसी के मौके पर ग्रामीणों के बीच पहुंचे सीपीएम नेता संजय पराते ने कहा कि दो साल पहले सारकेगुड़ा की जांच रिपोर्ट आई गई है और सरकारों के झूठ का पर्दाफाश हो गया हैं। इसमें कहा गया है कि मारे गए निर्दोष आदिवासी थे। इनमें कोई नक्सली नहीं था। अगर सरकार संविधान पर कानून पर विश्वास करती है, तो ऐसे अधिकारी जो आदिवासियों को नक्सली बताकर नरसंहार कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई करें।
श्री पराते ने कहा कि आदिवासी अत्याचार पर मानवाधिकार की रिपोर्ट हो या आदिवासी आयोग की रिपोर्ट हो या फिर सीपीआई की रिपोर्ट हो ये तमाम रिपोर्टों ने दोषियों अधिकारियों को चिन्हित किया हैं। लेकिन पहले की भाजपा सरकार हो या फिर वर्तमान की कांग्रेस सरकार जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के सदस्य आलोक शुक्ला ने कहा कि सारकेगुड़ा कांड के नौ साल बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिला है, जो दुखद है। दो साल पहले रिपोर्ट भी आ चुकी है। लेकिन सरकार कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखा रही। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक अधिकार या लोकतांत्रिक आंदोलन का जवाब सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से देना होगा। तभी एक विश्वास कायम होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे आंदोलन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आदिवासियों को न्याय दिलाने के वायदे पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आई है।
वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता व वकील बेला भाटिया ने कहा कि वर्ष 2019 में सारकेगुड़ा का जजमेंट आ चुका हैं। बावजूद ग्रामीणों को न्याय नहीं मिला हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार सारकेगुड़ा मामले में न्याय देती है तो ग्रामीण उन पर भरोसा करेंगे। साथ ही कांग्रेस नेता अरविंद नेताम ने भी आदिवासी हत्याओं की जमकर मुखालफत की। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या सुरक्षाबल के जवान तैनात रहे।