कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 12 जुलाई। आदिवासी महिला के स्वामित्व की भूमि को भूमि अधिग्रहण का मुआवजा दिलाने के नाम पर भू माफियाओं द्वारा राजस्व कर्मियों से सांठ गांठ कर अपने नाम कराने का मामला सामने आया है। इसकी जानकारी भू स्वामी महिला को हुई तो 6 जुलाई को थाना प्रभारी बैकुंठपुर, पुलिस अधीक्षक कोरिया तथा कलेक्टर कोरिया को दूरस्थ वनांचल क्षेत्र से पहुंच कर शिकायत आवेदन देकर मामले की जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की।
जानकारी के अनुसार कोरिया जिले की सीमा से सटे सूरजपुर जिले के दूरस्थ वनांचल ग्राम दुधनियापारा छतरंग तहसील ओडग़ी जिला सूरजपुर की एक अल्प शिक्षित आदिवासी महिला संतोषी सिंह पिता कन्हैयालाल पति रामसुन्दर (25) ने गत दिवस थाना प्रभारी बैकुंठपुर, कोरिया कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक कोरिया को सौंपे अपने शिकायत में उल्लेख किया है कि उसके स्वामित्व की भूमि बैकुण्ठपुर तहसील के ग्राम चेरवापारा प.ह.नं. 5 रानिमं बैकुण्ठपुर में स्थित है। जिसका खसरा नम्बर 764-2,798-8,931-1 रकबा क्रमश: 0.04, 0.105, 0.140, खसरा नम्बर 03 कुल रकबा 0.285 है। जिसे अनावेदक एवं उसके अन्य साथी उसके घर आकर कहने लगे कि तुम्हारी संपूर्ण जमीन नेशनल हाईवे में फंसी है। तुमको अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिला देंगे। इस तरह का विश्वास लेकर अनावेदकों द्वारा मुझे बैकुंठपुर लेकर आये और हल्का पटवारी मिलीभगत करते हुए मेरे संपूर्ण उक्त दर्शित भूमि का छल पूर्वक मुझे भरोसे में लेते हुए दस्तावेज तैयार कराया गया तथा हल्का पटवारी द्वारा मेरे नाम से ़ऋण पुस्तिका जारी कराकर मेरे उक्त संपूर्ण भूमि का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र प्रताप सिंह आ. हरी प्रसाद (40) जाति गोड़ निवासी सतीपारा थाना बैकुण्ठपुर के नाम पर निष्पादित करा लिया गया।
न भूमि का सौदा हुआ न पैसे मिले
इस मामले में आदिवासी महिला ने अपने शिकायत में उल्लेख किया है कि उक्त जमीन को धोखाधड़ी कर अनावेदकगण अपने नाम करा लिये है। जबकि उक्त भूमि का न तो कभी सौदा हुआ है और न ही उसका विक्रय मूल्य ही मुझे मिला है। अनावेदकों द्वारा भूमि का मुआवजा दिलाने के नाम पर आवेदिका को चेक दिया गया तथा अनावेदकगणों द्वारा बैकुण्ठपुर के इंडियन ओव्हरसीज बैंक में खाता खुलवाकर चेक जमा किया गया।
दस्तावेज लेखक व रजिस्ट्रार ने भी नहीं दी जानकारी
पीडि़त आदिवासी महिला ने अधिकारियों के सौंपे अपने शिकायत में बताया कि उसे रजिस्टर्ड विक्रय के संबंध में न तो दस्तावेज लेखक ने उसे कोई जानकारी दी और न ही रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रार ने ही किसी तरह की कोई जानकारी दी और न ही पूछताछ किया गया। जबकि जिसकी भूमि का विक्रय किया जा रहा है, उससे इस बात को पंजीयक कार्यालय में अधिकारी से पूछा जाना चाहिए था कि वह किसको जमीन विक्रय कर रही है और क्या विक्रय की जा रही जमीन का प्रतिफल उसे मिल गया है या नहीं। इस तरह पटवारी से लेकर पंजीयक कार्यालय तक की मिलीभगत से आदिवासी महिला के स्वामित्व की भूमि छलपूर्वक बेच दी। अब पीडि़त महिला को धोखाधड़ी होने की जानकारी होने पर अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रही है।