कांकेर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कांकेर, 16 जुलाई। छत्तीसगढ़ प्रदेश के सर्व महार महरा समाज के प्रतिनिधि मण्डल ने कल लोकसभा सांसद मोहन मण्डावी से उनके निवास में मिलकर महार समाज के कुछ वर्गों के उपजाति में मात्रात्मक त्रुटि के कारण अनुसूचित जाति के संवैधानिक लाभ से वंचित होंने की जानकारी देकर उसमें सुधार करवाने की मंाग की ।
प्रतिनिधि मण्डल ने सांसद मण्डावी को बताया कि छग राज्य बनने के बाद छग सरकार द्वारा 2001, 2008, 2010 और 2016 में महरा, माहरा जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्रेषित किया गया था। जिसे भारत सरकार के महारजिस्ट्रार द्वारा इस संबंध में पर्याप्त संदर्भ साहित्य रिपोर्ट न होने की बात कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया गया । 2017 में पुन: तत्कालीन भाजपा सरकार ने महरा, माहरा जाति को महार जाति का मात्रात्मक त्रुटि मानते हुए एक सर्कुलर जारी कर उक्त उपजाति के लोगो को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया था । जिसे एक पक्षकार द्वारा न्यायालय में चुनौती दी गई है। वर्तमान में महरा, माहरा उपजाति के लोगो का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नही बन रहा है ।
समाज के प्रतिनिधिमण्डल सांसद मण्डावी से इस मात्रात्मक त्रुटि को सुधार करने हेतु भारत सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री से चर्चा कर छग में निवासरत महरा, माहरा जाति को महार, मेहर, मेहरा के समकक्ष सरल क्रमांक 33 में शामिल कर अनुसूचित जाति का संवैधानिक लाभ दिलवाने की मांग की है । प्रतिनिधिमण्डल में समाज के बी आर नायक, बीरबल गढ़पाले, विश्वेशर मेश्राम, दिनेश नागदौने, श्रीराम शैलेंद्र, अशोक ऊके, मिथलेश मेश्राम, राधेश्याम गनवीरे, जीवन कोवेंद्र, पिंटू आरदे, गेंद सिंग सहारे, नोहर सिंह , भीखम आरदे, सालिक राम रामपुरिया, चन्द्र कुमार कौशल, एम आर सोरदे व अन्य शामिल रहे ।