बीजापुर
प्रोटीन के साथ सफाई का रख रहे ख्याल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 16 जुलाई। इन दिनों यहां जिला अस्पताल में मरीजों को दिये जाने वाला भोजन काफी स्वादिष्ट व पौष्टिक हैं। जिले के सरकारी जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को अब शुद्ध और पौष्टिक भोजन मिल रहा है। दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि जो खाना मरीजों को मिल रहा है उस खाने को दैनिक ‘छत्तीसगढ़’ की टीम ने भी टेस्ट किया है।
तीन माह पहले मेस के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निविदा आमंत्रित की गई थी। इस निविदा में अन्नपूर्णा नाम की स्वसहायता समूह को टेंडर मिला। मेस प्रबंधक आनंद सांईपाल बताते हंै कि उन्होंने तीन साल हैदराबाद में रहकर होटल मैनेजमेंट में कुकिंग की डिग्री ली है। मरीजों को अच्छा व पौष्टिक खाना मिल सके, इसलिए इस काम में आनंद की माँ प्रतिमा पाल भी उनका साथ दे रही है। इसके अलावा उनके साथ चार स्थानीय युवतियां भी उनकी मदद को है। दंतेवाड़ा जिले के बचेली के रहने वाले आनंद बताते हैं, उन्हें जिस दिन यह टेंडर मिला था। उसी दिन से उन्होंने ठान ली थी कि मरीजों की सेवा करने का ये अच्छा अवसर है। वे उन्हें शुद्ध व पौष्टिक भोजन देंगे, ताकि उन्हें घर के खाने की कमी महसूस न हो सके। और जल्द ही वे स्वस्थ हो।
कैंटीन संचालक बताते है, उन्हें रोजाना 120 लोगों के लिए खाना तैयार करना होता हैं। और इसकी प्रक्रिया सुबह 6 बजे कैंटीन पहुंचते ही शुरू हो जाती है। सुबह 8 बजे के नाश्ते में मरीजों को इडली, पोहा, उपमा, दलिया, ड्राई रोस्ट मूंगफली, अंडे जैसे नाश्ते दिए जाते है। ताकि मरीजों को प्रोटीन मिल सके और वो जल्द ही स्वस्थ हो सके, फिर दोपहर के 12 बजे लंच और शाम 6 से 7 बजे के बीच मरीजो को रात्रि का भोजन दिया जाता है। मरीजों के साथ उनके घर के एक सदस्य को भी खाना दिया जाता हैं। मरीजों को दिए जाने वाली खाने की थाली एयर लॉक कर दिया जाता है। इसके लिए वे क्लीन पैक रेप का इस्तेमाल करते है। जिससे कि खाने में किसी तरह के बैक्टीरिया न जा सके।
घर के मसलों से सब्जी होती है तैयार
अन्नपूर्णा स्वसहायता समूह की संचालिका प्रतिमा पाल ने बताया कि काम के साथ साथ हमें मरीजों की सेवा करने का मौका मिला है। वे बताती हंै कि मरीजों के लिए वह जो सब्जी तैयार करती है। उसका मसाला वे घर पर ही तैयार करती हैं। जो बाहर से मसाले हम लेते हैं, उनमें कभी हानिकारक मसाले होते है जो आम लोगों को भी पचाने में दिक्कत होता है और मरीजों को दिक्कत न हो, इसलिए मैं अपने हाथों से पिसा मसाला ही डालती हूँ। साथ ही दाल में हींग का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि खाना पचने में आसान हो जाये।
मरीजो के खाने में रखते है प्रोटीन और फैट का ख्याल
हैदराबाद से 3 साल तक कुकिंग की डिग्री हासिल करने वाले आनंद बताते हंै कि वे हर रोज अस्पताल में भर्ती मरीजों के खाने के लिए बाजार से ताजी सब्जियां खरीद कर लाते हैं। साथ ही उच्च क्वालिटी के चावल का प्रयोग करते है। सबसे ज्यादा ख्याल वह मरीजों को दिए जाने वाले खाने में प्रोटीन, फैट और तापमान सही मात्रा में हो।
गर्भवती महिलाओं का रखते है विशेष ध्यान
जिला अस्पताल में अन्नपूर्णा नाम से कैंटीन चलाने वाले माता और पुत्र ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को वे 4 बार खाना देते हैं, जिसमें प्रोटीन से भरे स्प्राउट्स, सलाद और मौसमी फल शामिल हंै। क्योंकि गर्भवती माताओं के शरीर मे ताकत की अत्यधिक आवश्यकता होती है, इसलिए 1 महीने की गर्भवती से लेकर डिलीवरी के 5 दिन तक वे गर्भवती महिलाओं के खाने में विशेष ध्यान रखते हंै।
सिविल सर्जन डॉ. अभय तोमर ने बताया कि यहां पहले की तुलना में खाने की क्वालिटी में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। अन्नपूर्णा मरीजों के खाने में विशेष ध्यान दे रही हंै।