गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 17 जुलाई। मध्यप्रदेश के नेमावर में आदिवासी परिवार की हत्या के विरोध में गरियाबंद जिला आदिवासी परिषद ने आक्रोश रैली निकाल कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
शुक्रवार को आदिवासी समाज जिला मुख्यालय स्थित आदिवासी विकास परिषद भवन से रैली में शामिल बच्चे, बालिका, महिलाओं, युवा, बुजुर्ग सहित सैकड़ों की संख्या परंपरागत वेशभूषा, तीर कमान, फरसा भाला हाथों में तख्ती लिए हुए नारा लगाते हुए 2 सूत्रीय मांगों को लेकर पैदल रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।
समाज पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम सौंपे गये ज्ञापन में उक्त हत्याकांड की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच कराने के साथ आरोपियों को फांसी की सजा व पीडि़त परिवार को 1 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की गई।
वही समाज द्वारा सौंपे गए दूसरी मांग में एसटी-एससी पदोन्नति में आरक्षण बहाल हो और समाज को उनका अधिकार मिले। उच्च न्यायलय के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए पदोन्नति आरक्षण में नियम को ताक में रख कर पदोन्नति करने की बात कही। इससे एसटी-एससी वर्ग के कर्मी वंचित हो रहे हैं। ज्ञापन में धारा-6 आरक्षण अधिनियम 1994 के तहत दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग व पेशा एक्ट काननू को पूरी तरह जिले में लागू करने का मांग किया गया।
मीडिया से चर्चा करते हुए समाज के नेतृत्वकर्ता पूर्व विधायक ओंकार शाह ने नेमावार की घटना पर कहा कि आरोपियों पर राजनीतिक संरक्षण व मीडिया पर सरकारी दबाव बनाकर पीडि़तों को न्याय दिलाने में जानबूझकर विलंब किया जा रहा है। समाज ये बर्दाश्त नहीं करेगा। एमपी सरकार का रवैया न्यायपूर्ण नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उचित जांच करते हुए पीडि़त परिवार के साथ न्याय करना चाहिए। हमे इस पूरे मामले पर निष्पक्ष जांच के लिए मांग किया है, अगर हमारी मांगों को अनदेखा कर मामले को दबाने की कोशिश की जाएगी, तो आदिवासी समाज उग्र आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा।
ज्ञापन सौंपने के बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने कहा कि मध्यप्रदेश के देवास जिले में नेमावर की घटना में राजनीतिक संरक्षण के चलते अपराधियों को बचाने का कार्य वहां की पुलिस प्रशासन कर रही है। ऐसे जघन्य अपराध के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी जघन्यता की पुनरावृत्ति न हों। मध्यप्रदेश सरकार और वहां की प्रशासन आदिवासियों के अधिकारों को दबाने का कुत्सित प्रयास कर रही है।
अपराध सार्वजनिक होने के बाद भी आज तक कार्रवाई न होना सरकार व प्रशासन की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। आदिवासी समाज की अस्मिता के लिए हर जंग को तैयार हैं।
ज्ञापन सौंपने के दौरान नेतृत्व कर्ता ओंकार शाह परिषद के संरक्षक महेंद्र नेताम, जिला अध्यक्ष उमेंदी कोर्राम, सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष भरत दीवान, जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम धु्रव समाज के प्रदेश अध्यक्ष पन्नालाल ध्रुव, समाज के महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष लोकेश्वरी नेताम, नेताम, धनसिंग मरकाम, यशवंत सोरी समेत बड़ी संख्या में समाज के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद थे।