गरियाबंद
राजिम, 19 जुलाई। रविवार को शाम 4 बजे शहर के प्रसिद्ध सत्यनारायण मंदिर में इस्कॉन मंदिर मुंबई से पधारे भागवताचार्य आदित्य रामदास प्रभु ने अजामिल प्रसंग पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सतयुग में भगवान विष्णु हुए, त्रेता में रामचंद्र, द्वापर में कृष्ण तथा कलयुग में ईश्वर नाम की भक्ति को ही प्रमुख बताया गया है। कृष्ण के 16 अक्षर का महामंत्र जीवन को गति प्रदान करता है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रभु के नाम के जपन से मनुष्य गलत कार्यों की ओर उन्मुख नहीं होता है उनमें अच्छे विचार पनपते हैं तथा जीवन जीने की कला आती है। काम, क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, जो व्यक्ति काम में आसक्त होते हैं, उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
पं. आदित्य रामदास ने आधुनिकता के चकाचौंध पर फोकस करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में विख्यात है, फिर भी हम गलत दिशा में जा रहे हैं यह चिंतनीय विषय बन गया है। आधुनिकीकरण के नाम पर संस्कृति का पतन हो रहा है। मोबाइल एवं टीवी ने बहुत कुछ दिया है, लेकिन बहुत कुछ हमसे छीन भी लिया है। लोग मोबाइल में घंटों चौट करते रहते हैं जबकि वह समय परिवार के सदस्यों के साथ बतियाने का होता है सुख-दुख बांटने के समय अब मोबाइल में ही पूरा वक्त व्यतीत हो रहा है। दूसरे शब्दों में हमें जिसे नहीं देखना चाहिए, हम समय से पहले उसे देख लेते हैं जिससे मानव समाज का नुकसान ही हो रहा है। तनाव बढ़ता जा रहा है हमें जिनका जितना उपयोग करना चाहिए, उसी के आधार पर काम करें तो जीवन खुशहाल हो जाता है और यदि अति कर दे तो उनसे संकट पैदा होती है। इससे अच्छे समाज की कल्पना कैसे की जा सकती है। वैज्ञानिक आविष्कार सुविधाएं प्रदान करने के लिए होती है ना कि उस पर लिप्त होने की।
इस मौके पर प्रमुख रूप से सत्यनारायण मंदिर कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार कंसारी, कंसारी समाज के अध्यक्ष सहदेव कंसारी, रामा साव, कालीदान कंसारी, बलराम कंसारी, रमेश कंसारी, मुन्ना साव, बाबूलाल साव, विन्डू कंसारी, गोविंदा कंसारी, मिथिलेश कंसारी, संतोष कंसारी, नंदकुमार साव, तुकाराम कंसारी आदि उपस्थित थे।