राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 जुलाई। मानसून की दस्तक के बाद बारिश थमने से जहां तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी होने से लोग हलाकान हो गए थे। वहीं मंगलवार को रूक-रूककर बारिश होने से लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिली। दोपहर करीब डेढ़ बजे बादल गरजने के साथ ही झमाझम बारिश हुई, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वहीं बारिश थमने से फिर लोगों को गर्मी का अहसास होने लगा। इसके बाद करीब 4 बजे फिर आसमान में बादल छाने के साथ झमाझम बारिश और ठंडी हवाओं के चलते लोगों ने राहत की सांस ली।
इधर बारिश होने के साथ ही लोग बारिश से बचने छाता और रैनकोट का भी सहारा लेते नजर आए। वहीं लोग दुकानों के प्लेटाफार्म और फ्लाई ओवर के नीचे बारिश से बचने की जुगत में दिखाई दिए। इधर मानसून के रूकने से जहां किसान चिंतित हो गए हैं। वहीं जिलेभर के नदी-जलाशयों में भी पानी का भराव नहीं हो पाया है। ऐसे में किसान आसमान की ओर बारिश की आस लगाए बैठे हैं। आगामी दिनों आषाढ़ की बिदाई होते ही सावन की शुरूआत होगी।
सावन को बारिश के लिहाज से अनुकूल मौसम माना जाता है। उम्मीद की जा रही है कि सावन में बारिश जमकर बरसेंगे। हालांकि सावन में मानसूनी बादल बिना बरसे कुछ सालों से आगे निकल रहे हैं। इससे लोगों को बारिश नहीं होने की चिंता बढ़ रही है। बांध-बैराज खाली होने का सीधा असर खेती पर पड़ेगा। पानी की किल्लत पर बांधों से ही सिंचाई के लिए किसानों को पानी उपलब्ध कराया जाता है। मानसून के मौजूदा स्थिति को देखकर यह समझा जा सकता है कि बारिश नहीं होने से हालात गंभीर हो सकते हैं। इधर मंगलवार को बारिश होने से लोगों को राहत मिली।
बताया जा रहा है कि आषाढ़ माह में आमतौर पर बैराज और बांध क्षमता तक भर जाते हैं। इस बार स्थिति आषाढ़ महीने में बिल्कुल बदली हुई है। बताया जा रहा है कि जिले के बड़े बैराजों के साथ-साथ मध्यम और लघु जलाशय भी खाली पड़े हुए हैं। जिले में मोंगरा को सबसे बड़ा बैराज माना जाता है। मोंगरा में अब तक 65 फीसदी पानी का भराव हुआ है। इसी तरह सूखा नाला में 26, घुमरिया में 43 और खातूटोला में 2.2 प्रतिशत पानी का भराव है। बताया जा रहा है कि बीते साल आषाढ़ में ही बांध-बैराज छलककर नदियों की रफ्तार बढ़ाने में सहायक रहे।