गरियाबंद

24 तक फाइलेरिया उन्मूलन एवं कृमि मुक्ति दिवस
20-Jul-2021 8:41 PM
24 तक फाइलेरिया उन्मूलन एवं कृमि मुक्ति दिवस

कलेक्टर-सीईओ ने दवाई खिलाकर की अभियान की शुरूआत 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 20 जुलाई।
हाथीपांव के नाम से  जाना जाने वाले बीमारी की रोकथाम के लिए 19 से 24 जुलाई तक लिम्फेटिक फाइलेरिया उन्मूलन एवं कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर ने हाईस्कूल नहरगांव में स्कूली छात्रों को डीईसी एवं एलबेन्डाजॉल की दवाई खिलाकर लिम्फेटिक फाइलेरिया उन्मूलन एवं कृमि मुक्ति दिवस की शुरूआत की, गरियाबंद जिले में 453 फाइलेरिया के मरीज है। जिसमें सबसे ज्यादा राजिम में 235 फाइलेरिया के मरीज है। 

सोमवार को  नहरगांव में स्कूली छात्रों को डीईसी एवं एलबेन्डाजॉल की दवाई खिलाकर लिम्फेटिक फाइलेरिया उन्मूलन एवं कृमि मुक्ति दिवस की शुरूआत करते हुए  कलेक्टर ने कहा कि जिले के प्रत्येक लक्षित बच्चों को दवाई खिलाना सुनिश्चित करें। इस अवसर पर जिला सीईओ  संदीप अग्रवाल ने भी बच्चों को दवाई खिलाया। 

सीएमएचओ डॉ.एन.आर. नवरत्न ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है यह जान तो नहीं लेती है लेकिन जिंदा व्यक्ति को मृत के समान बना देती है। इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। गरियाबंद जिले में 453 फाइलेरिया के मरीज है। जिसमें सबसे ज्यादा राजिम में 235 फाइलेरिया के मरीज है।

विशेषज्ञों का कहना है कि फाइलेरिया मच्छरों (परजीवी क्यूलेक्स फैंटिगस मादा मच्छर) से फैलता है, जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है, फिर जब यह मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिये शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देता है। 

हाथीपांव से लोगों को बचाने के लिए जिले में कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर के निर्देशानुसार जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 19 से 24 जुलाई 2021 तक लिम्फेटिक फाइलेरिया उन्मूलन एवं कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। तैयारी के संबंध में कलेक्टर द्वारा रविवार को बैठक लेकर स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। 

जिले के सभी विकासखण्डों में 5 लाख 78 हजार 181 लोगों को डीईसी एवं एलबेन्डाजॉल की दवाई खिलाई जाएगी। संबंधित समस्त प्रशिक्षण जिला एवं विकासखंड स्तर पर पूर्ण किया जा चुका है। जिसमें 01 से 02 वर्ष के बच्चों को एलबेन्डाजॉल की आधी गोली (200 एमजी), 2 से 5 वर्ष, 6 से 14 वर्ष एवं 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगो को एक गोली (400 एमजी), खिलायी जायेगी। फाईलेरिया में 2 से 5 वर्ष के बच्चों को डी.ई.सी. की एक गोली (100 एमजी), 6 से 14 वर्ष के बच्चों को दो गोली (200 एमजी) एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को 3 गोली (300 एमजी) खिलायी जायेगी। एक वर्ष से कम उम्र के बच्चें, गर्भवती महिलाओं, अति वृद्ध व गंभीर बिमारियों से पीडि़तों को दवा नही दिया जायेगा। इस अवसर पर डीपीएम डॉ रीना लक्ष्मी, स्वास्थ्य विभाग एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।

फाइलेरिया के कारण
फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलेक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण अज्ञात के रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इसलिए इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।

फाइलेरिया के लक्षण
खास कर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके साथ ही पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव की तरह सूज जाते हैं। इस कारण बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

फाइलेरिया से बचाव
फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास और अंदर साफ-सफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिडक़ाव करें। पूरी आस्तीन  के कपड़े पहने । हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।
 

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