महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 21 जुलाई। गुंडिचा मंडप (मौसी का घर) से 11 दिन विश्राम करने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भैय्या बलराम व बहन सुभद्रा के साथ मंगलवार को अपने घर (मंदिर गर्भगृह) लौट आए हैं। इस दौरान उनका भव्य स्वागत किया गया। मालूम हो कि भगवान की इस वापसी को बहुड़ा यात्रा के रूप में मनाया जाता है। मंगलवार को श्रीराम जानकारी मंदिर में महंती समाज व महिला मंडली के द्वारा बहुड़ा यात्रा निकाल कर भगवान को गर्भगृह में विराजित किया गया।
श्रीराम जानकी मंदिर के पुजारी शास्त्री नारायण दास वैष्णव ने बताया कि रथयात्रा के बाद से मान्यतानुसार भगवान अपने मौसी के घर चले गए थे। पिछले साल की भांति इस साल भी कोरोना की वजह से गुंडि़चा मंडप मंदिर परिसर में बनाया गया था। जहां भगवान विराजित थे। यहां 10 दिन विश्राम करने के बाद 11वें दिन भगवान फिर से अपने घर मंदिर के गर्भगृह में वापस आते हैं। जिस दिन वापस आते हैं, उस दिन को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। कल 20 जुलाई को बहुड़ा यात्रा परिसर के अंदर निकालकर भगवान जगन्नाथए बड़े भैय्या बलराम व बहन सुभद्रा को मंदिर के गर्भगृह में फिर से विराजित किया गया। अब भगवान आज से 118 दिन के लिए विश्राम यानी सो जाएंगे।
आगामी 24 जुलाई गुरूपूर्णिमा का पर्व है। जिसे लोग भक्ति के साथ मनाकर अपने-अपने गुरुजनों की आराधना करेंगे। पंडितों अनुसार महर्षि कृष्ण दै्वपायन वेद व्यास के जन्मदिन को गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने ही 4 वेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण एवं महाभारत की रचना की। गुरूपूर्णिमा के अवसर पर मंदिर, घरों में भी विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।
इसी तरह 20 जुलाई से चार्तुमास की शुरुआत हो गई है। इसी के साथ भगवान विष्णु 118 दिन तक विश्राम में रहेंगे। बीते साल अधिमास होने के कारण 148 दिन तक भगवान विश्राम में थे। इस दौरान वैवाहिक व मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाएगा। प्रतिबंध किे दौरान धार्मिक अनुष्ठान, मंदिरों में पूजा पाठा जारी रहेंगे। फिर 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्यक्रम की शुरुआत होगी।
19 नवंबर से दिसंबर तक 15 विवाह मुर्हूत है। इसके बाद जनवरी में शुक्र अस्त हो जाएगा।