कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
चिरमिरी, 22 जुलाई। एक्यूप्रेसर भारत की प्राचीन रोगोपचार की अचूक हानिरहित पद्धति। भारतीय स्त्रियां पाजेब, नूपुर, कड़े, लाकेट, टीका, झूमर, बालियां, लोंग, तगड़ी आदि क्यों युगों से पहनती आ रहीं है, यह जानने की जरूरत है। स्त्री- पुरुष एक अरसे से अंगूठियां पहनते रहे है। यह सब एक्यूप्रेसर के फलस्वरूप ही संभव हो पाया है।
उक्त बाते योग शिक्षक संजय गिरि ने लायंस क्लब वरदान चिरमिरी की महिलाओं के प्रतिदिन सुबह 7 से 7.30 तक संचालित ऑनलाइन योग की क्लास में बुधवार को कही।
श्री गिरि ने बताया कि एक्यूप्रेसर प्रतिदिन सुबह शाम खाना खाने के पहले या तीन घंटे बाद, 30 सेकंड से 2 मिनट प्रति बिंदु अंगूठे, अंगुलियों, लकड़ी अथवा प्लास्टिक के उपकरण से सुविधानुसार मध्यम बल के प्रयोग से किया जा सकता है।
इसके प्रयोग से शरीर के टॉक्सिन्स, मस्क्युलर टिसूज, बोन सिस्टम, नर्वस सिस्टम, थायराइड, पिच्यूटरी, पिनियल, पैंक्रियाज ग्रंथियां, इंटरनल ऑर्गन्स आदि की विकृतियों को दूर करतीं है।
यहां तक कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी उपयोगिता को स्वीकारते हुए इस चिकित्सा पद्धति को साइटिका, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस आदि मेरुदंड के समस्त रोगों, कंधों की अकडऩ फ्रोजेन शोल्डर, घुटनों के दर्द, बिस्तर में मूत्रत्याग, अल्सर, पेचिश, कब्ज, सिरदर्द, माइग्रेन, नस- नाडिय़ों की विकृति, पेट में गैस बनना, एसिडिटी, गले की सूजन व पीड़ा, टॉन्सिल्स, साईनोसायटीस, ब्रोंकायटिस, दमा,आंख कान गले के रोग, दांतों के दर्द, लकवा आदि रोगों में अधिक उपयोगी स्वीकार किया है।
पतंजलि योगपीठ से प्रशिक्षित योग शिक्षक संजय गिरि ने बताया कि रोगोपचार के साथ- साथ एक्यूप्रेसर डीसीज डायग्नोज की अचूक पद्धति है। जिसे अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ अपनाया जाना चाहिए। जिससे आमजन बगैर पैसों के रोगमुक्त हो सकते है। विदित हो कि श्री गिरि विगत 12 जुलाई से लगातार अन्य कई विषयों पर लायन क्लब वरदान की महिलाओं, बालिकाओं की नि:शुल्क ऑनलाइन क्लास लेते आ रहे है। इस अवसर पर लायन क्लब वरदान चिरमिरी की चार्टर प्रेजिडेंट मुनमुन जैन व अन्य समस्त पदाधिकारियों के साथ जिले के बाहर के भी महिलाओं नें लाभ लिया।