कोरिया

गांव का नाम रूषनी, एक माह से ग्रामीण अंधेरे में
23-Jul-2021 6:15 PM
गांव का नाम रूषनी, एक माह से ग्रामीण अंधेरे में

काम नहीं, वनोपज पर है आश्रित, पांचवी के बाद छात्रों का भविष्य अंधकारमय

छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 23 जुलाई।
कोरिया जिला मुख्यालय से 220 किमी दूर स्थित गांव का नाम रूषनी है, परन्तु गांव में अंधेरा व्याप्त है, एक महिने से सौर ऊर्जा प्लांट बिगड़ा हुआ है। घनघोर जंगल के बीच बसे इस गांव के बच्चे प्राथमिक स्तर की पढ़ाई कर स्कूल नहीं जा पाते हैं, तो गांव के लोगों के पास काम नहीं है।  

कोरिया जिले के भरतपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत केसौड़ा का एक आश्रित ग्राम का ग्राम रूषनी है। इस ग्राम तक पहॅंचने के लिए न तो पक्की सडक़ है और न ही कच्ची सडक़, वन मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है। जनपद मुख्यालय से इस गांव की दूरी लगभग 84 किमी है। ग्रामीण गांव से 15 किमी दूर बडग़ांवकला पैदल आना-जाना करते हैं। इस गांव  के मतदाता सूची में कुल 175 मतदाता दर्ज है और करीब 40 ग्रामीणों का घर स्थित है। 

रूषनी ग्राम भरतपुर जनपद पंचायत के दूरस्थ वनांचल ग्राम बडग़ांवकला से 15 किमी दूर स्थित है। ग्राम रूषनी घनघोर जंगलों के बीच में स्थित है। गांव के चारों ओर साल वनों के जंगल घने स्थित है। यहां तक पहुंचने के दौरान रास्ते में एक भी व्यक्ति दिखाई नहीं देता है। जंगलों के बीच जंगली जानवरों के खतरों के बीच आवागमन कर कठिनाई से पहुंचा जा सकता है।

ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत केसौड़ा के आश्रित ग्राम रूषनी तक पहुंचने के लिए वन विभाग द्वारा सडक़ का निर्माण कार्य शुरू किया गया है, लेकिन सडक़ निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है। वन क्षेत्र होने के कारण कई तरह की अड़चनें हैं, रास्ते में कई पेड़ सडक़ पर गिरे पड़े हैं, जिससे रास्ते को मोड़ा गया है। जिस कारण सडक़ निर्माण कार्य पूरा करने में देरी हो रही है। 

इस संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच राजमन का कहना है कि गांव में काम की जरूरत है, काम के अभाव में ग्रामीण अन्य जगह चले जाते हंै। सरपंच ने बताया कि रूषनी में एक महिने से सौर ऊर्जा प्लांट बिगड़ा हुआ है, इसकी शिकायत जनपद में की है, पर सुधार नहीं हो पाया है। उन्होंने मिडिल स्कूल और सामुदायिक भवन की जरूरत बताते हुए इसकी मांग की है।
गौरतलब है कि कोरिया जिले में आज भी ऐसे कई दूरस्थ वनांचल व दुर्गम क्षेत्र में स्थित गांव हैं, जहां कई तरह की मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पायी है जिससे कि ऐसे क्षेत्रों के लोगों का पूरा जीवन जंगलों पर आश्रित होकर गुजरना पड़ रहा है। मनरेगा योजना ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी देता है, लेकिन कुछ वनांचल गांव ऐसे हैं, जहां पर उक्त योजना के तहत  निर्धारित दिवस तक रोजगार की गारंटी भी नहीं मिलता। जिस कारण दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के लोगों को काम के अभाव में जंगलों की वनोपज पर आश्रित होकर अपना जीवनयापन करना पड़ रहा है।

ग्रामीणों को नहीं मिल रहा अपने गांव में काम
ग्राम रूषनी में वन विभाग में थोड़ा काम मिलता है, ग्रामीण पूरी तरह से वनोपज पर ही आश्रित है। उनका पूरा समय जंगलों में वनोपज एकत्र करने में बीतता है। जिससे कि उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि यहां रोजगार गारंटी योजना के तहत तथा अन्य योजनाओं के तहत भी कोई काम नहीं मिलता। लोग काम की तलाश में शहर की ओर भागते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि गांव में मनरेगा योजना के तहत भी काम खुलता तो गांव के लोगों को अपने ही क्षेत्र में काम मिल पाता और मजदूरी करने के बाद कुछ कमाई भी हो जाती। 

पांचवी के बाद शिक्षा से वंचित हो रहे बच्चे
ग्राम पंचायत केसौड़ा के आश्रित वनांचल वन ग्राम रूषनी में वैसे तो ग्रामीण कई तरह की मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम रूषनी में सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्र व प्राथमिक स्कूल ही संचालित है। प्राथमिक स्कूल में कुल 40 बच्चे पढ़ाई करते हंै और आंगनबाड़ी में 20 बच्चे हंै। 

ग्रामीणों का कहना है कि प्राथमिक स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के बाद मीडिल स्कूल की सुविधा यहां नही है तथा मिडिल स्कूल है भी तो वह 15 किमी काफी दूर बडग़ांवकला में है जिस कारण प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद बच्चे मिडिल स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर नहीं जा सकते, जिस कारण प्राथमिक कक्षा के बाद बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बच्चे उच्च प्राथमिक शिक्षा से वंचित हो रहे हंै। 

शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 8वीं कक्षा तक नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है लेकिन रूषनी गांव में मीडिल स्कूल नहीं होने तथा गांव से काफी दूर होने के कारण पांचवी कक्षा के बाद बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि यदि गांव में मिडिल स्कूल खोल दिया जाये तो यहां के बच्चे पांचवी के बाद आगे की पढाई कर सकेंगे इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए दूर हॉस्टल में भेज सकेंगे।

खतरे के बीच ग्रामीण, भालू और तेंदुए की भरमार
ग्राम रूषनी चारों ओर से जंगलों से घिरा वन ग्राम है। यहां के ग्रामीण हमेशा ही जंगली जानवरों के खतरों के बीच में रह रहे है। ग्रामीण बताते हंै कि हमारे क्षेत्र के जंगल में भालू सबसे ज्यादा है और भालु के हमले के कई घटनाएं पूर्व में घटित हो चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार वे शाम को जल्दी घर लौट जाते है और दिन में लगभग 11 बजे ही वो जंगल की ओर जाते है, क्योंकि भालू और तेंदुआ सुबह के समय कई बार ग्रामीणों को परेशान कर चुके हैं। भालू के अलावा क्षेत्र के जंगल में तेंदुआ भी काफी है जो आये दिन जंगलों से निकलकर ग्रामीण क्षेत्र में पहुंच जाते हंै। मक्का, आलू सहित अन्य सीजन के दौरान भालू ग्रामीण क्षेत्र में पहुंच कर फसलों को नुकसान पहुंचाता है ऐसी स्थिति में लोगों को हमेशा ही खतरा बना रहता हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में सबसं ज्यादा भालू की दस्तक आये दिन होती रहती है जिससे संभलकर रहना पड़ता है। जबकि तेंदुए भी क्षेत्र के जंगल में ज्यादा है लेकिन तेंदुआ की आवक गांव में कभी कभार हो जाता है। जंगली जानवरों से दिन के साथ रात में भी खतरा बना रहता है।

एक माह से सोलर प्लांट बिगड़ा
ग्राम रूषनी सौलर प्लांट स्थापित कर गांव को रोशन किया जा रहा है। ग्रामीणों की माने तो यहां स्थित सोलर प्लांट करीब एक माह से बिगड़ गया है जिसका सुधार कार्य नहीं कराया जा रहा है। जिससे कि रात्रि के दौरान ग्रामीणों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि रूषनी गांव चारों ओर से जंगलों से घिरा होने के कारण जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है ऐसे में महीने भर से सौर ऊर्जा का प्लांट खराब हो जाने से रात अंधेरे में कटती है।  साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी लाईट के अभाव में प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों की मांग है कि बिगड़े सोलर प्लांट को जल्द से जल्द सुधार कराया जाये।  

चिखली सरबोरा तक बन रही है सडक़
प्राप्त जानकारी के अनुसार वन ग्राम रूषनी क्षेत्र में वन विभाग द्वारा सडक़ का निर्माण कार्य कराया जा रहा है लेकिन  कार्य की अपेक्षित गति से निर्माण कार्य नही हो पा रहा है। वन क्षेत्र होने के कारण सडक़ निमा्रण कार्य में लेटलतीफी हो रही है। जानकारी के अनुसार वन विभाग द्वारा रूषनी से चिखली, सरबोरा के बीच सडक़ निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इस सडक के बन जाने से रूषनी ग्राम के लोगों केा भी सडक़ सुविधा का लाभ मिल सकेगा।
 

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