बस्तर
नदी-नाले एवं दुर्गम रास्ते भी नहीं कर पा रही है अधिकारी-कर्मचारियों को उत्साह को कम
जगदलपुर, 23 जुलाई। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अन्तर्गत बस्तर जिले को मलेरिया से मुक्ति प्रदान करने हेतु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। अभियान के चौथे चरण को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अलावा मितानीन तक के मैदानी अमले के सभी अधिकारी-कर्मचारियों ने अपनी सम्पूर्ण ताकत झोंक दिया है। बारिश के अलावा नदी, नालें पहाड़ एवं दुर्गम रास्ते भी इस अभियान को सफल बनाने पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों की उत्साह को कम नहीं कर पा रही है। चैथे चरण के अभियान में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी जिले के अतिसंवेदनशील एवं सुदूर वनांचल के ग्रामों में नदी, नालों एवं पहाड़ो को पार करते हुए पहुंचकर ग्रामीणों की मलेरिया जांच कर रहे है। अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा मलेरिया जांच में पॉजिटिव पाये जाने वाले मरीजों को मलेरिया रोधी दवा का वितरण एवं इसके बचाव हेतु आवश्यक सुझाव भी दिया जा रहा है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि बस्तर जिले के मलेरिया मुक्त बनाने हेतु मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ के चैथे चरण का अभियान 15 जून से प्रारंभ किया गया है, जो 31 जुलाई तक निरंतर चलेगी। उल्लेखनीय है कि बस्तर जिले में मलेरिया मुक्त अभियान के प्रथम चरण में 5 हजार 203, द्वितीय चरण में 4 हजार 909 एवं तृतीय चरण में 1818 मलेरिया के पॉजिटिव प्रकरण पाये गए हैं। चौथे चरण के इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के 162 टीम के द्वारा 1 लाख 46 हजार 677 जनसंख्या वाले 149 पहुंचविहीन अतिसंवेदनशील ग्रामों के 1 लाख 19 हजार 218 लोगों की मलेरिया जांच की जा चुकी है। इसके में से 1333 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए जिनका त्वरित ईलाज किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के सर्वे के दौरान जिले के 283 घरों में मच्छरों के लार्वा भी पाया गया, जिसे नष्ट करने की कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दवाई एवं मच्छरदानी के वितरण के अलावा आम लोगों को मलेरिया के उपायों के संबंध में भी जानकारी दी जा रही है। इसके अन्तर्गत बस्तर जिले में अब तक 3 लाख 75 हजार 240 नग मच्छरदानी का वितरण किया जा चुका है। इसके साथ ही 16 जून सिंथेटिक पायरेथ्राईट एवं डीडीटी छिडक़ाव किया जा रहा है। मलेरिया के रोकथाम हेतु जिले के सभी विकासखण्डों के 319 पहुंचविहीन अतिसंवेदनशील ग्रामों में मच्छररोधी दवाओं के छिडक़ाव का लक्ष्य रखा गया है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि बस्तर जिले में वर्ष 2017 में वार्षिक परजीवि सूचकांक 15.05 वर्ष 2019 में 7.29 एवं वर्ष 2020 में 4.19 वार्षिक परजीवी सूचकांक प्रति हजार में है। वर्ष 2020 के तुलना में वर्ष 2021 सकारात्मक मलेरिया मरीजों की 40 प्रतिशत कमी आई है।