जशपुर

संसदीय सचिव ने टांगर गांव में स्टील प्लांट लगाने का किया विरोध
24-Jul-2021 8:26 PM
संसदीय सचिव ने टांगर गांव में स्टील प्लांट लगाने का किया विरोध

   कहा जशपुर की हरियाली को खत्म होने नहीं देंगे   

4 को आयोजित जनसुनवाई निरस्त करने की मांग 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

पत्थलगांव, 24 जुलाई। जशपुर जिले की खूबसूरती से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। न यहाँ किसी प्रकार का प्रदूषण फैलाने वाला प्लांट लगने दिया जाएगा न ही किसी प्रकार खनन करने दिया जाएगा। जशपुर को हम खूबसूरत बनाने और यहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में कोई जशपुर की जनता मंशा के विरुद्ध अपनी मनमानी से यहां के आबो हवा को बिगाडऩे के लिए और अपनी निजी स्वार्थ के लिए किसी भी प्रकार का उद्योग नियम विरुद्ध लगाएगा तो हम जशपुर के लोग मिलकर इसका विरोध करेंगे। हमने पहले भी सडक़ पर आकर विरोध किया है। अब भी विरोध करेंगे। जो भी लोग स्पंज फैक्टरी को लेकर सौदेबाजी कर रहे हैं, वो जशपुर को तबाही की ओर झोंक रहे हैं। यह हरगिज़ बर्दाश्त नहीँ किया जाएगा। उक्त बातें संसदीय सचिव व कुनकुरी विधायक यू.डी. मिंज ने कही है।

आगे कहा कि जल जंगल जमीन हमारा है। इसकी रक्षा का दायित्व भी हमारा है। उद्योगपति खुद के लाभ के लिए हमारे भविष्य का नुकसान करें, ये हम होने नहीं देंगे। इसके लिए मुझे किसी भी प्रकार की कीमत चुकानी पड़ेगी तो मंै इसके लिए तैयार हूँ। उन्होंने जनता के तरफ से कलेक्टर से अपील की है कि जनसुनवाई को कोविड को देखते हुए और कंपनी के द्वारा प्रस्तावित योजना में भारी अनियमितता होने के कारण निरस्त किया जाय। उन्होंने कहा कि जनसुनवाई जनजातीय आयोग के माध्यम से कराई जाय और इसकी पूरी छानबीन भी कराई जाय।

ज्ञात हो कि जशपुर जिले के कांसाबेल तहसील के टाँगरगाँव में एक उद्योग स्थापित किया जा रहा है, जिसका नाम माँ कुदरगढ़ी स्टील प्राइवेट लिमिटेड है।

श्री मिंज ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि जो स्पंज आयरन प्लांट लगाना चाहते हैं और जशपुर जिले को बर्बाद करना चाहते हैं, उनकी मंशा हम समझते हैं भले ही लोगों को वो इसके बारे में कुछ भी समझा ले, बरगला ले, लालच देकर खरीद ले लेकिन उनकी मंशा को किसी भी स्थिति में हम सफल होने नहीं देंगे और 4 अगस्त को होने वाले जनसुनवाई का जशपुर के पर्यावरण प्रेमी अपनी जमीन से प्रेम करने वाली जशपुर की जनता के साथ मिलकर पुरजोर विरोध करेंगे।

उन्होंने कहा कि जहां-जहां भी उद्योग लगा है वहां की स्थिति आज क्या है, हर कोई जानता है। उन्होंने कहा कि मैंने देखा है कि ऐसे स्थानों पर अपराध दर क्या है। एक बार उद्योग लग जाता है तो फैक्ट्री मालिक किसी की भी बात नहीं सुनते हैं और अपनी मनमानी करते हैं स्थानीय लोगों को दरकिनार कर दिया जाता है।

उन्होंने टाँगर गाँव में लगने वाले माँ कुदरगढ़ी स्पंज आयरन फैक्टरी के संबंध में अपना विरोध दर्ज करते हुए कहा कि सर्वप्रथम टॉंगरगॉंव तहसील कांसाबेल जिला जशपुर में 4 अगस्त को आयोजित जनसुनवाई निरस्त की जाय।

संसदीय सचिव यूडी मिंज ने कहा कि कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई, अभी भी पॉजिटिव मरीज निकल रहे हैं और इस कारण किसी भी प्रकार का बड़ा आयोजन सामाजिक आयोजन प्रतिबंधित है। कलेक्टर जशपुर ने धारा 144 लगाई है। इन परिस्थितियों में जिला प्रशासन इस महामारी में भी जनसुनवाई करवाने की अनुमति प्रदान की है, जो कि गलत है। इसलिए टांगरगांव में 4 अगस्त को होने वाली जनसुनवाई को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाये। कोरोना संक्रमण के प्रभाव समाप्त होने के बाद ही जन सुनवाई की कारवाई की जाये।

यह निर्धारित होना चाहिये कि टांगरगांव जिला जशपुर में होने वाली जनसुनवाई में कितने लोग शामिल होने वाले हैं, प्रशासन द्वारा कितने लोगों को इसकी अनुमति प्रदान की गई है। जिला प्रशासन द्वारा कंपनियों की जनसुनवाई में हजारों लोगों की अनुमति प्रदान करता है वहां आम जनता के अंतिम संस्कार एवं शादी ब्याह में सरकार द्वारा सुनिश्चित किए गए जनसंख्या के ज्यादा होने पर जुर्माना जैसी कार्यवाही करता है। कोविड नियमों के पालन हेतु क्या उपाय किये जा रहे हैं। यदि इस आयेजन बाद कोरोना फैलता है तो इसके लिये जिम्मेदार कौन होगा?

उन्होंने कहा कि टांगरगांव तहसील कांसाबेल जिला जशपुर में स्टील प्लांट लगाना चाहते हैं। जशपुर जिला संपूर्ण क्षेत्र अधिसूचित क्षेत्र होने के कारण संविधान के 5वीं अनुसूची लागू होता है और पेसा अधिनियम 1996 के अंतर्गत आता है। जिससे स्टील प्लांट यहाँ नहीं लगाया जा सकता है। यह क्षेत्र के आधे से अधिक गांव पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं जहां पेसा कानून लागू होता है। पेसा कानून के मुताबिक बिना ग्राम सभा के अनुमति के बगैर किसी भी प्रकार का उद्योग एवं कोई गतिविधियां संचालित नहीं की जा सकती हैं परंतु प्रशासन द्वारा पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून के नियमों का सीधा उल्लंघन किया जाता है। और ग्राम सभा के मिले अधिकारों का सीधा सीधा उल्लंघन किया जाता है जो पेसा कानून के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है

विधायक मिंज ने मुखर रूप से कहा कि भूअर्जन अधिनियम 2013 के अनुसार निजी कंपनी के द्वारा उद्योग हेतु कलेक्टर की मंजूरी के बिना भूमि की खरीदी नहीं किया जा सकता है। यदि संबंधित निजी कंपनी द्वारा उद्योग के नाम से खरीदी गयी भूमि को शासन में राजसात किया जाए तथा टांगरगाव अधिसूचित क्षेत्र में होने के कारण अधिकांश भूमि स्वामी अनुसूचित जनजाति के हैं। इनकी भूमि निजी कंपनी द्वारा अनुसूचित जनजति के नाम से खरीद किया गया है तो छ.ग. भू.रा.स. 1959 की धारा 170 ख के तहत जांच कर बैनामी खरीद बिक्री अवैध घोषित कर मूल आदिवासी को भूमि वापस किया जाये।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि जशपुर जिला ग्रीन बेल्ट में आता है और उद्योग लगने से यहां का पर्यावरण प्रभावित होगा जिसके कारण प्रदूषण बढ़ेगा, इस कारण यहां उद्योग न लगाया जाये बल्कि इसके स्थान पर यहां पर्यटन को बढ़ाया जाये। जशपुर जिले की जलवायु एग्रो टूरिज्म के लिये अनुकूल है, इसलिये एग्रो टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाना चाहिये न की किसी अन्य स्टील इंडस्ट्रीज या खनन उद्योग को स्थापित किया जाये।

उन्होंने बताया कि मां कुदरगढ़ी एनर्जी एंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा कोयला आयरन ओर एवं डोलोमाइट का चूरा करकर का उपयोग के लिये ओडिशा स्थित खदानों से लाया जाएगा, जिसकी दूरी 250 किमी, कोयला के लिये धरमजयगढ़ और बिश्रामपुर से लाएगा, जिसकी दूरी 130 किमी है, जो कि इंजीनीयिरंग इकोनॉमिक्स के हिसाब से भी गलत है। शासन को गलत जानकारी देकर सबसीडी पाने के लिये यह उद्योग स्थापित करने के लिये किया जा रहा है।

साथ ही मां कुदरगढ़ी एनर्जी एंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा बिना अनुमति के मशीन लगाकर कार्य कराया जा रहा है, जिसे जब्त किया जाये। जब तक कार्य आरंभ होने की अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक किसी भी प्रकार का कार्य न हो। यदि किसी प्रकार का कार्य कंपनी के द्वारा किया जाता है तो उसके विरूद्ध कार्रवाई की जाये, यह माँग उन्होंने की है।

उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है की जशपुर जिले का जल स्तर अत्यंत निम्न है सेंट्रल वाटर कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर जशपुर जि़ला डेंजर जोन में है। जिसके कारण यदि फैक्टरी द्वारा स्पंज आयरन प्लांट के लिये किया जाएगा तो इस क्षेत्र के लिये भारी जल समस्या का कारण भी बनेगा। मां कुदरगढ़ी एनर्जी एंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा मैनी नदी से 2.99 मि.ध.ली प्रतिवर्ष उपयोग किया जाएगा। मैनी एक पहाड़ी नदी है इसके माध्यम से कंपनी की जल आपूर्ति सम्भव ही नहीं है, साथ इससे जल समस्या बढ़ेगी। मैनी नदी प्रदूषित भी होगी। इसके लिये कपंनी के द्वारा राज्य शासन जलसंसाधन विभाग के अनुमति भी प्राप्त नहीं की गई है। इन परिस्थितियों को देखते हुए मां कुदरगढ़ी एनर्जी एंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड को इस जनसुनवाई की अनुमति प्रदान नहीं की जानी चाहिए। अगर जिला प्रशासन इनके जनसुनवाई के अनुमति प्रदान करता है हम इस कंपनी की जन सुनवाई की प्रक्रिया का विरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि यह हाथी कारीडोर में आता है और  क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है, जहां हाथियों द्वारा आसपास के ग्रामीणों के खेतों का कृषि नुकसान एवं कभी-कभी वनों में या जंगलों में मानव क्षति भी पहुंचाई जाती है जिसकी क्षतिपूर्ति के रूप में जशपुर वन विभाग द्वारा कृषि क्षतिपूर्ति एवं मानव क्षतिपूर्ति के रूप में साथ ही हाथियों के भोजन एवं रखरखाव के लिए खर्च किए जाते हैं, इन परिस्थितियों में इस ईआईए के अंदर इसका विवरण नहीं दिया गया है। क्षेत्र के जंगलों में हाथी चीतल बंदर भालू उडऩ गिलहरी एवं सैकड़ों प्रकार के सर्प पाए जाते हैं। तैयार किए गए दस्तावेज जानकारी नहीं दिखाई  देते हैं जिससे यह कहा जा सकता है इस क्षेत्र की बनाई गई ईआईए की सच्चाईयों से कोई वास्ता नहीं रखती, जो केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है, इसलिए इस जनसुनवाई को निरस्त कर जमीनी स्तर पर अध्ययन करवाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि जिले में निवासरत लोग कृषि पशुधन एवं वनों उपज  का संग्रह कर जीवन यापन करते हैं। औद्योगीकरण की वजह से जंगलों में मिलने वाला तेंदूपत्ता महुआ डोरी चिरौंजी हर्रा बहेड़ा आमला पराया विलुप्त हो रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से आदिवासी समुदाय के लोगों का जीवन यापन खतरे में पड़ गया है। इस्पात उद्योग लगने से यह और विलुप्त हो जाएगा। स्थानीय स्त्र पर ग्रामीणों का आय उपार्जन बन्द होने उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। इसलिए स्पंज आयरन प्लांट टांगरगाव के अलावा संपूर्ण जिले में कहीं भी न लगाया जाये।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में  पावर प्लांट के कारण  ट्रकों से व्यापक पैमाने पर चलने पर दुर्घटनाएं होगी ,सडक़ों में व्यापक पैमाने पर दबाव बढ़ेगा जिससे दुर्घटनाओं में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी होगी । जिले के विकासखंड के अंदर औद्योगिकरण की वजह से आम जनमानस में स्वास्थ्य को लेकर किस तरह के प्रभाव पड़ेगे ,जो कि इस क्षेत्र में सिलिकोसिस टीबी दमा स्नोफीलिया कैंसर खाज खुजली इस्नोफीलिया दमा टीवी कैंसर शरीर में चर्म रोग जैसे गंभीर बीमारियां की वजह होगी।

उन्होंने कहा कि जिले के औद्योगिक करण होने के कारण जशपुर जिले में अपराधों में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी होगी। इसका मूल के बजाय दूसरे राज्यों से काम करने आने वाले जो लोग आसपास के गांवों में किराए के मकान में रहकर कार्य करते हैं, जिनके द्वारा गंभीर घटनाओं में अपराध में हिस्सेदारी बढ़ेगी। जिससे इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अपराधों में बढ़ोतरी होगी। इन गतिविधियों का संचालन करने के पूर्व किसी भी प्रकार का कोई अध्ययन नहीं किया गया है।

संसदीय सचिव ने कहा कि मैं जिले के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उद्योग के विरोध में हूँ। जिले को पर्यटन उद्योग के रूप में एग्रो टूरिज़म के रूपहोने वाली में स्थापित किये जाने के समर्थन में हूँ। इसलिए माँग करता हूं कि  कांसाबेल के टाँगर गाँव में  4  अगस्त को होने वाली जन सुनवाई का कार्य स्थगित किया जाये तथा प्लांट किसी भी दशा में स्थापित नहीं किया जाये।

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